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पुलिस

।। पुलिस ।। 

पुलिस…पुलिस सुख-सुविधाओं का त्याग है,
पुलिस अनुशासन का विभाग है।
पुलिस…पुलिस नियम कानून की परिभाषा है,
पुलिस अपराधियों का गहन अध्ययन है जिज्ञासा है।
पुलिस…पुलिस अमन व शांति का सबूत है,
पुलिस अपराधियों के डरावने भूत हैं।
पुलिस…पुलिस है तो देखो कितनी शांति है,
पुलिस नहीं है तो चारों तरफ क्रांति है।

पुलिस…पुलिस जनता की सेवा में त्यौहार पर परिवार छोड़ देती है।
पुलिस की पत्नी करवा चौथ का व्रत फोटो देखकर तोड़ देती है।
पुलिस…पुलिस कभी ठंड में ठिठुरती तो कभी गर्मी में जल जाती है,
फिर भी उसे परिवार के लिए दिन की छुट्टी नहीं मिल पाती है।
पुलिस…पुलिस त्याग, तपस्या और साधना है,
पुलिस जनता की सेवा और आराधना है।

जनता क्यों अक्सर ये भूल जाती है कि गोली तो पुलिस भी अपने सीने पर खाती है,
शहीद सिर्फ सीमा पर जवान नहीं होता पर ख़ाकी के जख्म का निशान नहीं होता।
लोग कहते हैं कि पुलिस कहां है..पुलिस साम्प्रदायिक तनाव में, राजनीतिक चुनाव में,
जुलूस में जलसों में, मेले के झूलों में, ईद-दिवाली और होली के रंगों में होती है।
पुलिस…पुलिस गली-गली, गांव-गांव, शहर-नगर होती है,
हर मुसीबत में जनता की सेवा में हाजिर वो रहती है।

पुलिस कर्मी भी इंसान होते हैं उनमें भी हैं संवेदनाएं,
जब लगते हैं आरोप तो उठती हैं वेदनाएं।
है सर्वस्व न्योछावर इस पर तुम भी अभिमान करो,
मांग इतनी है मेरी तुम पुलिस का अपमान नहीं सम्मान करो।

कमलेश दीक्षित
अपरपुलिस अधीक्षक (औरैया)

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