Political Desk। शिव सेना (Shiv Sena) के मुख पत्र सामना (Saamana) की एक रिपोर्ट से महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज हो गयी हैं। बीजेपी (BJP) और शिव सेना शिंदे गुट (Shiv Sena Shinde) के नेताओं से जवाब देते नहीं बन रहा है। सामना की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 22 फरवरी को डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे (Deputy CM Eknath Shinde) ने पुणे (Pune) के एक होटल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के साथ गुप्त बैठक (Secret Meeting) की थी, जिसमे शिंदे ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद के लिए दावा ठोंका, जिसे गृह मंत्री अमित शाह ने ठुकरा दिया और शिंदे से बीजेपी में पार्टी का विलय (Merge) करने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि शिवसेना उद्धव के मुख पत्र सामना में छापे एक लेख ने महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज कर दी है। सामना में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाए जाने से नाराज हैं। इसे लेकर 22 फरवरी को शिंदे ने पुणे के एक होटल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ गुप्त बैठक की थी। इस बैठक में शिंदे ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोंका, जिसे ठुकराते हुए अमित शाह ने उन्हें बीजेपी में अपनी पार्टी का विलय करने के लिए कहा।
सामना में छपी रिपोर्ट के मुताबैक शिंदे को अमित शाह ने जवाब दिया कि हमारे विधायक ज्यादा हैं, आप कैसे दावा कर सकते हैं? शिंदे ने कहा कि मेरे चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। इस पर शाह ने कहा कि आपके नहीं मोदी जी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था। सामना के मुताबिक़ शिंदे के मुख्यमंत्री पद का दावा करने पर अमित शाह ने कहा कि सीएम हमारा ही रहेगा। आप अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर अपनी पार्टी हमें सौंप दीजिए। इसके बाद शिंदे मायूस होकर होटल से बाहर चले आये। इस मुलाक़ात के बाद ही महाराष्ट्र में सियासी अटकलें तेज हो गयी।
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शिव सेना उद्धव के मुखपत्र सामना में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता से बेईमानी करने वालों की फौज खड़ी हो गई है। छत्रपति शिवाजी और संभाजी के समय विश्वासघात किए गए। उद्धव ठाकरे से लड़ाई करते-करते एकनाथ शिंदे के बीच का मराठा जाग उठा है। उस मराठा को आज दिल्ली के चरणों में झुकते देखा जा सकता है। दिल्ली में मराठी साहित्य सम्मेलन और महाराष्ट्र में मराठी भाषा गौरव दिवस मनाया गया, लेकिन मराठी व्यक्ति का स्वाभिमान और आत्मगौरव कहीं सो गया। महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह से दिल्ली के हाथ में हैं।