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स्वार्थ से प्रेरित सियासत

प्रत्येक मौसम का अपना अलग रंग रूप होता है। उसकी अनुरूप बाहर आती है। बयार चलती है। कभी शीत लहरी। कभी गर्म हवा। इनकी तरह ही चुनावी मौसम का अपना अंदाज होता है। इसमें दलबदल की बयार चलती है। पतझड़ में पेड़ से पत्ते टूट कर जमीन पर बिखर जाते है। इसमें एक वृक्ष का पत्ता टूट कर दूसरे पेड़ की टहनी पर चला जाता है। पहुंचते ही उसके रंग का हो जाता है। समाजसेवा पूरे समाज या समुदाय की बातें हवा हवाई हो जाती है। दिल मे अपने और कभी अपने पुत्र के लिए दिल मांगे मोर की धुन गूंजने लगती है। लोगों को यह धुन साफ सुनाई देती है। इसको छुपाने की तमाम कवायद बेमानी हो जाती है। फिर भी कहा जाता है कि समाज के लिए दलबदल किया है। पांच वर्ष सत्ता का सुख भोगा। सरकार नेता और नीति का गुणगान किया। तब सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा था।

इधर चुनाव की तारीख का ऐलान हुआ। टिकट वितरण का कार्य अंतिम चरण में पहुंचने लगा। इसी गति से दिल की बेकरारी बढ़ने लगी। मतदान के एक महीने पहले लगा कि जहां पांच वर्ष सत्ता में रहे,वहां सबका साथ सबका विकास नहीं था। ये बात अलग है कि तब ना जाने कितनी बार इसे दोहराया गया। जिस पार्टी पर हमला बोलते रहे,जिसे दलित वंचितों का विरोधी बताते रहे,उसका दामन थामने में कोई संकोच नहीं है। इस चुनावी बयार से कोई दल अछूता नहीं है। सत्ता दल व मुख्य विपक्षी ही सर्वाधिक प्रभावित होते है। सच्चाई यह है कि चुनावी बयार से प्रभावित होकर दल बदल करने वाले किसी के नहीं होते। फिर चुनाव होंगे,फिर हवाएं चलेगी,फिर ये नेता किधर पहुंच जाएंगे,इसे कोई नहीं जाता।

ये स्वयं भी अपने विषय में नहीं बता सकते। पुत्र को टिकट मिल जाये तो पार्टी बहुत अच्छी। दलितों वंचितों की हितैषी। बेटे को टिकट ना मिले तो वही पार्टी दलित वंचितों की विरोधी घोषित हो जाती है। मतलब आकलन का अधिकार केवल अपना कुनबा होता है। चुनाव के कुछ समय पहले आवागमन का दौर शुरु हो जाता है। दूसरी पार्टी छोड़ कर आने वालों की आवभगत होती है। सब जानते है कि उनका शुभागमन केवल टिकट की चाहत में हो रहा है। ऐसे लोगों का स्वागत पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कीमत पर होता है। जो दुर्दिन में भी पार्टी के साथ रहते है। संघर्ष करते है। उनकी उपेक्षा होती है। कई बार ऐसे लोगों को पहचानने से भी इंकार कर दिया जाता है। जिनका विचारधारा से कोई लेना देना नहीं होता,वह महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसा करने से किसी भी पार्टी को परहेज नहीं होता है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में बाहरी नेता भाजपा में शामिल हुए थे। इन सबको उम्मीद थी कि भाजपा की सरकार बनेगी। ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद ऐसे नेता भाजपा से छोड़ कर जाने लगे। मतलब साफ है। ऐसे लोगों की निष्ठा अपने कुनबे या सत्ता तक सीमित रहती है। इनका संघर्ष में नहीं सुख व स्वार्थ पर विश्वास होता है। इसी के लिए वह राजनीति में आते है। अन्यथा चुनाव के पहले और चुनाव के बाद विचारों में इतना परिवर्तन कैसे संभव है। उत्तर प्रदेश में भाजपा बसपा व सपा तीन प्रमुख पार्टियां है। बसपा और भाजपा में कैबिनेट मंत्री रहने की हसरत पूरी हुई। भाजपा एक मांग पूरी कर देती तब ठीक था। ऐसा नहीं हुआ तो तीसरी पार्टी रह गई थी। उधर का रुख हो गया। भाजपा में मंत्री रहते हुए उन्होंने आंकड़ा प्रस्तुत किया था।

उन्होंने बसपा व सपा सरकारों पर श्रमिकों की अनदेखी का आरोप लगाया था। उनका कहाना था कि 2009 से 2017 तक केवल 36 लाख श्रमिकों का पंजीयन व सात लाख को योजनाओं का लाभ मिला था। योगी सरकार ने साढ़े चार साल में एक करोड़ 20 लाख श्रमिकों का पंजीयन कराते हुए 77 लाख श्रमिकों को योजनाओं का लाभ दिलाया है। कोरोना काल में सरकार श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों के साथ खड़ी रही। मुफ्त राशन व धन लगातार वितरित हो रहा है। सामूहिक विवाह के आयोजन फिर शुरू होने जा रहे हैं। प्रदेश सरकार श्रमिक एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए तथा उनके जीवन स्तर को उन्नतिशील बनाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों के लिए अठारह कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसका लाभ पाकर श्रमिक परिवार खुशहाल बन रहा है। श्रमिक परिवार की खुशहाली में ही हम सभी की खुशहाली जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों के लिए संचालित श्रम विभाग की कन्या विवाह सहायता योजना के तहत बोर्ड में पंजीकृत श्रमिक परिवार की पुत्रियों की शादी के लिए पचहत्तर हजार रूपए प्रति जोड़ा धनराशि का भुगतान किया जाता है।

यह हितलाभ सामूहिक विवाह की स्थिति में ही प्रदान किया जाता है। साथ ही स्वजातीय विवाह करने पर पचपन हजार रूपये और अन्तरजातीय विवाह करने में इकसठ हजार रूपये की धनराशि दी जाती है। इन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बिना भेदभाव के समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। श्रमिक अपने कार्य के लिए विभिन्न स्थानों पर जाते रहते हैं। ऐसे में उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए प्रत्येक मण्डल मुख्यालय पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा इन विद्यालयों में श्रमिकों के बच्चों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी।सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में विगत पांच वर्षों में विकास व समाज कल्याण के मोर्चों पर उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सर्वप्रथम प्रदेश में विकास के अनुकूल माहौल बनाने का कार्य किया था। इसका प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ा। सरकार बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के विकास एवं कल्याण हेतु कार्य कर रही है। निर्माण श्रमिकों की पुत्रियों के सामूहिक विवाह कार्यक्रम का मण्डल स्तरीय वृहद आयोजन जनकल्याण और विकास के प्रति समर्पित राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का एक जीवन्त उदाहरण है। श्रमिकों के लिए मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद सहायता योजना,मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, सन्त रविदास शिक्षा सहायता योजना चिकित्सा सुविधा सहायता योजना शौचालय सुविधा सहायता योजना,आवास सहायता योजना निर्माण कामगार मृत्यु एवं दिव्यांगता सहायता एवं अक्षमता पेंशन योजना आदि सम्मिलित हैैं। यह योजनाएं श्रमिकों की विभिन्न जरूरत के लिए सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित की जा रही हैं। भवन एवं अन्य सन्निर्माण प्रक्रियाओं में लगे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत अपना पंजीकरण कराकर इन योजनाओं का लाभ प्राप्त करना चाहिए। जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो और उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। कन्याओं के विवाह में प्रदेश सरकार स्वयं उपस्थित होकर कन्यादान करती रही है। सामाजिक व जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति को मिल रहा है। इन योजनाओं को समन्वित ढंग से लागू किया जा रहा है। श्रमिकों के हित के लिए उनकी कन्याओं के विवाह का यह सामूहिक कार्यक्रम गांव की बेटी, सबकी बेटी के भाव को चरितार्थ करता है। यह सामूहिकता की ताकत का एहसास भी है।

सरकार श्रमिकों और जनता के हर सुख-दुख की सहभागी हैै। श्रम विभाग द्वारा किए जा रहे सामूहिक विवाह के आयोजनों से दहेज, बाल विवाह तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में मदद मिली है। श्रम विभाग द्वारा सामूहिक विवाह कार्यक्रमों को तेजी से संचालित किया जा रहा है। श्रमिकों सहित समाज के अन्य कमजोर वर्गों की कन्याओं के सामूहिक विवाह के कार्यक्रमों में राज्य सरकार ने सक्रिय भागीदारी कर बेटियों को सम्मान देने का कार्य किया है। सरकार गांव, गरीब,नौजवान,किसान, महिलाओं,दलित, शोषित,पीड़ित,वंचित सहित समाज के प्रत्येक तबके के हित और विकास के लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना,मुख्यमंत्री आवास योजना तथा श्रम विभाग की आवास योजना के माध्यम से आवास उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है।

पैंतालीस लाख परिवारों को आवास की उपलब्धता,दो करोड़ इकसठ लाख शौचालयों की उपलब्धता,उनसठ हजार ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों एवं पंचायत भवनों का निर्माण सहित विद्युतविहीन गांवों में बिजली की उपलब्धता जैसे कार्य सुनिश्चित किए गए हैं। मिशन शक्ति के तहत न सिर्फ थानों और तहसीलों में बल्कि गांव-गांव में बालिकाओं और महिलाओं के उत्थान और विकास के कार्य किए जा रहे हैं। बीट अधिकारी के रूप में महिला पुलिसकर्मी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान का वातावरण दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कार्य प्रदेश सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों का हिस्सा हैं। पांच वर्ष पहले भी श्रम विभाग था, लेकिन तब शासन की योजनाओं का लाभ गरीबों,मजदूरों, किसानों,युवाओं तथा महिलाओं को नहीं मिल पाता था। वर्तमान सरकार के गठन के बाद प्रत्येक जरूरतमन्द को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान दिया,उसमें सभी के लिए समान अधिकार की व्यवस्था की गयी है।

केन्द्र और प्रदेश सरकार इसी समान अधिकार के तहत बिना भेदभाव समाज के अन्तिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है। शौचालय, प्रधानमंत्री आवास योजना,मुख्यमंत्री आवास योजना, निःशुल्क विद्युत कनेक्शन,पांच लाख रुपये की आयुष्मान भारत योजना तथा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति को बिना भेदभाव के दिया जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाएं व्यवस्थित रूप में आगे बढ़ रही हैं। किसानों को शासन की योजनाओं का पूरा लाभ दिया जा रहा है। पैंतालीस लाख गरीबों को आवास उपलब्ध कराये गये हैं। दो करोड़ इकसठ लाख शौचालय,करीब डेढ़ करोड़ गरीबों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन,डेढ़ करोड़ से अधिक निःशुल्क रसोई गैस,नब्बे लाख लोगों को निराश्रित पेंशन लाभ दिया जा रहा है।

जब लॉकडाउन जारी हुआ था,तब उत्तर प्रदेश देश की पहली सरकार थी, जिसने 54 लाख गरीबों, श्रमिकों तथा मजदूरों के लिए भरण-पोषण भत्ते की व्यवस्था की थी। सरकार ने न प्रदेश में प्रत्येक गरीब को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से निःशुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है। इसके तहत  अन्त्योदय कार्डधारकों को पैतीस किलो निःशुल्क खाद्यान्न तथा पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति यूनिट पांच किलो निःशुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है। सरकार ने नेशनल पोर्टेबिलिटी सिस्टम लागू किया है,जिससे श्रमिक कहीं भी अपना राशन प्राप्त कर सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिकों के बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करायी जा रही है। इन विद्यालयों के माध्यम से श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। कोई भी श्रमिक प्रवासी हो अथवा निवासी हो,दो लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा की गारण्टी तथा पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है। क्या गरीबों के कल्याण हेतु योगी सरकार के इन कार्यों को नजरअंदाज किया जा सकता है।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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