वाराणसी। शराब कारोबारी महेश जायसवाल से रंगदारी मांगने के मामले में आरोपित प्रदीप सिंह उर्फ पीके सिंह को जमानत मिल गयी। प्रभारी जिला जज राजेश्वर शुक्ला की अदालत ने आरोपित प्रदीप सिंह उर्फ पीके को 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव ने पक्ष रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार संदहा (कैंट) निवासी शराब कारोबारी महेश जायसवाल ने 18 नवंबर कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसका सोयेपुर मस पांच बीघा का प्लाट है, जिसका 7-8 सालों से चंदा चौराहा, सारनाथ निवासी अजय गुप्ता व महाबीर गुप्ता से विवाद चल रहा है। इस बीच अजय उसके पार्टनर चरनजीत दत्ता पर दबाव बनाकर उसे जेल में बंद माफिया मुन्ना बजरंगी के पास ले गया। जहां जमीन का समझौता एक करोड़ 40 लाख में भय व दबाव बनाकर करा लिया।
जिसके बाद वादी ने विभिन्न खातों से कुछ पैसा अजय गुप्ता के खाते में ट्रांसफर भी कर दिया, लेकिन मुन्ना बजरंगी के मरने के बाद अजय गुप्ता पुनः मुकदमा शुरू कर दबाव बनाने लगा और जमीन पर की गई बाउंड्री को झुन्ना पंडित नामक बदमाश के सहयोग से गिराने लगा था। इस पर जब वादी ने अजय गुप्ता से समझौता करने को कहा तो उसने पीडब्ल्यूडी आफिस वरूणा पल पर स्थित एक दुकान पर पंचायत के लिए बुलाया। जहां पहले से ही दारानगर निवासी तनुज पांडेय, करण्डा गाजीपुर के ब्लाक प्रमुख रिंकू सिंह के साथ ही कई असलहाधारी मौजूद थे।
इस बीच अजय गुप्ता ने रिंकू सिंह व तनुज पांडेय से कहा कि जमीन का मामला सलटा दो। इस पर उनलोगों ने कहा कि एक करोड़ देना पड़ेगा। इस पर वहां मौजूद अभिषेक सिंह हनी व उसके साथियों ने कहा कि तुम दो लाख 50 हजार दे दो तो मैं प्रदीप सिंह से सारा मामला मैनेज करवा दूंगा। इस पर उसने जान के भय से 50 हजार रुपये तत्काल दे दिया तो उन्होंने धमकाते हुए कहा कि दो लाख की व्यवस्था जल्दी करो, इतने से काम नहीं चलेगा। काफी गिड़गिड़ाने पर वह लोग प्रदीप सिंह का भय दिखाते हुए धमकी देते हुए बाकी पैसे की व्यवस्था करने की बात कहकर वहां से चले गए।
अधिवक्ता अनुज यादव ने बहस में कहा सह आरोपितों के बयान के आधार पर प्रदीप सिंह को आरोपित बना दिया गया है। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गयी कि आरोपित ने कभी भी किसी से पैसे की मांग नहीं किया है। सह आरोपितों के बयान के आधार पर उसे आरोपित बना दिया गया है। इस मामले में सह आरोपित की जमानत पूर्व में हो चुकी है। केस डायरी मस ऐसा कोई तथ्य नहीं दर्शाया गया है, जिससे यह प्रतीत हो कि आरोपित ने मृत्यु या घोर उपहति का भय दिखाते हुए धन प्राप्त किया गया है।
रिपोर्ट-जमील अख्तर