प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शशि शेखर वेम्पति ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बीबीसी द्वारा आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया है। बीबीसी ने वेम्पति को दिल्ली में 8 मार्च को ‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ द ईयर अवार्ड नाइट्स’ के लिए निमंत्रण भेजा था। लेकिन वेम्पति ने बीबीसी पर दिल्ली दंगों को लेकर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाते हुए यह निमंत्रण अस्वीकार कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, वेम्पति ने बीबीसी के महानिदेशक एमएस टोनी हॉल को एक पत्र लिखकर 8 मार्च को होने वाले इस सम्मान समारोह में शामिल न होने की सूचना दी। पत्र में उन्होंने कहा है कि बीबीसी पत्रकार योगिता लिमये की रिपोर्ट में दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस को एकपक्षीय दिखाया गया, लेकिन रिपोर्ट में उस दंगाई भीड़ का जिक्र नहीं है, जिसने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की जान ली और डीसीपी पर हमला किया। न ही रिपोर्ट में आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की निर्मम हत्या का जिक्र किया गया है, जिनका कसूर सिर्फ इतना था कि वह दंगा प्रभावित क्षेत्र के निवासी थे।
प्रसार भारती के सीईओ वेम्पति ने पत्र के आखिर में लिखा कि मैं यह भी समझता हूं कि आप बीबीसी के डायरेक्टर जनरल के तौर पर जल्द ही इस्तीफा देंगे। भविष्य के लिए आपको मेरी शुभकामनाएं और मैं उम्मीद करता हूं कि बतौर पब्लिक ब्रॉडकास्टर बीबीसी देश की संप्रभुता का आदर करेगा और पहले की तरह लोकहित में दी जाने वाली सेवाओं को अवश्यक बनाएगा।
उल्लेखनीय है कि ये कोई पहला मौका नहीं है कि बीबीसी की निष्पक्षता पर सवाल उठे हों, इससे पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है। पिछले साल मशहूर फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने जम्मू कश्मीर पर बीबीसी की रिपोर्टिंग को पक्षपातपूर्ण करार दिया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि बीबीसी भारत और यूनाइटेड किंगडम के लिए अलग-अलग नजरिया अपनाता है। जब वह जम्मू कश्मीर को ‘भारत अधिकृत कश्मीर’ कहता है, तो आयरलैंड को ‘ब्रिटिश अधिकृत आयरलैंड’ क्यों नहीं कहा जाता? इसी तरह, नोटबंदी के दौरान एक इंटरव्यू में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी बीबीसी की पत्रकारिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए थे।