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सावधानी ही ‘आई फ्लू’ के संक्रमण से बचा सकती है

बारिश की वजह से देश के कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति ने हालात को पटरी से उतार दिया है. नदियां-नाले सब उफान पर थे. मानसून ने इस बार भारत में थोड़ी जल्दी दस्तक दे दी है. राजधानी दिल्ली भी बाढ़ जैसी आपदा से बच नहीं सकी. कुछ राज्यों में हालत बेहतर हुई है लेकिन उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य लगातार भारी बारिश का सामना कर रहे हैं. बारिश और बाढ़ का खतरा कम हुआ ही था कि अब इससे होने वाले संक्रमण और बिमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिया है. बाढ़ के बाद अब कई बीमारियां तेजी से बढ़ने लगती हैं. इनमें आंखों की समस्या (आई फ्लू) बड़ी तेजी से फैल रही है. जगह-जगह इससे पीड़ित लोगों ने काले चश्मे पहन रखे हैं. इस इंफेक्शन की वजह से लोगों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता

यह आई फ्लू देश के कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है. जिससे लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे आँखों में लालिमा, दर्द, सूजन, खुजली आदि. गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में भी आई फ्लू की समस्या तेजी से बढ़ रही है. जम्मू के ज़्यादातर अस्पताल चाहे वह शहरी क्षेत्र में हों अथवा ग्रामीण क्षेत्र, इस समय आंखों की समस्या से जूझ रहे मरीजों से भरे हुए हैं. प्रतिदिन अस्पतालों में आई फ़्लू के मरीजो का प्रतिशत लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस संबंध में जम्मू बहु फोर्ट के रहने वाले 14 वर्षीय हरित कुमार का कहना है कि मुझे पहले एक आंख में हल्की हल्की लाली होने लगी और उसके बाद दर्द भी होने लगा.

इसके बाद आंखें थोड़ी थोड़ी सूजने लगीं. इसके साथ ही आंखों में जलन भी होने लगी और आंखों से हल्का हल्का पानी निकलने लगा. एक-दो दिन बाद मेरी दूसरी आंख मे भी वैसे ही सब कुछ होने लगा. जब मैंने चेकअप करवाया तो मुझे पता लगा कि मैं भी आई फ्लू से संक्रमित हो चुका हूं. डॉक्टर ने मुझे कुछ सुझाव दिए हैं और कुछ आई ड्राप, जिसकी वजह से अब मुझे थोड़ा थोड़ा आराम मिलना शुरू हो गया है.

सावधानी ही 'आई फ्लू' के संक्रमण से बचा सकती है

इस संबंध में जम्मू संभाग के सांबा जिला स्थित जिला अस्पताल की आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर रश्मि का कहना है कि हमारे यहां इस समय 100 में 80 मरीज आई फ्लू की समस्या से पीड़ित आ रहे हैं. इसमें हर उम्र के लोग हैं. कहीं कहीं तो पूरी की पूरी फैमिली ही इस समस्या का शिकार हो चुकी है।.परंतु बच्चों में यह लक्षण ज्यादा इसलिए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बच्चे अपनी हाइजीन मेंटेन नहीं रख पाते हैं. दूसरा बच्चों की इम्युनिटी बड़ों की अपेक्षा थोड़ी कम होती है. डॉ रश्मि सुझाव देते हुए कहती हैं कि इस समय जो भी बच्चे आंखों की समस्याओं से जूझ रहे हैं, माता पिता उन्हें स्कूल न भेजें ताकि न केवल बच्चे को और अधिक इंफेक्शन से बचाया जाए बल्कि इससे दूसरे बच्चों के भी संक्रमित होने का खतरा कम हो जाएगा. बच्चे का हाथ बार-बार धुलवाने की ज़रूरत है ताकि वह गंदे हाथों से आँखों को छू न ले. डॉ रश्मि बताती हैं कि इस समय यह बीमारी इतनी बढ़ चुकी है कि इससे जन्म के मात्र 20 से 25 दिन का बच्चा भी बच नहीं सका है जोकि आश्चर्य की बात है.

जम्मू मेडिकल हॉस्पिटल के डॉक्टर संदीप गुप्ता का कहना है कि पिछले चार-पांच दिन से देखने में आ रहा है कि आई फ़्लू के केस तेज़ी से बढ़ गए हैं. ऐसा नहीं है कि इस फ्लू में केवल बच्चे ही संक्रमित हो रहे हैं बल्कि यह किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. छोटे बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक सभी इस आई फ्लू से प्रभावित हो रहे हैं. डॉक्टर संदीप गुप्ता का कहना है कि चूंकि यह सामान्य रूप से फ़ैल रहा है, ऐसे में इसके लिए कुछ सावधानियां बरतने की ज़रूरत है ताकि न केवल इससे बचा जा सके बल्कि फैलने से भी रोका जा सके क्योंकि यह एक वायरल इंफेक्शन है. डॉ गुप्ता का कहना है कि लगातार बारिश होने की वजह से वातावरण में नमी अधिक हो गई है. इससे इस वायरस को पनपने में मदद मिल रही है और यह तेजी से फैल रहा है.

शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता

डॉ गुप्ता कहते हैं कि इस फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है. बल्कि इसे समझने और इससे सावधानीपूर्वक बचने की जरूरत है. पहले तो आई फ्लू के लक्षण पता होने चाहिए. इसके लक्षणों पर चर्चा करते हुए डॉ गुप्ता बताते हैं कि पहले एक आंख में लाली आने लगती है और उसमें जलन होने लगती है. जिसके बाद आंखों से पानी ज्यादा आता है. पहले एक आंख में संक्रमण होता है. फिर दो-चार दिन में दूसरी आंख भी संक्रमित हो जाती है. आंखों के आसपास काफी स्वेलिंग आ जाती है जो बहुत पेनफुल होती है. उन्होंने इन अफवाहों को निराधार बताया कि इससे आंखों में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न हो जाता है या फिर रोशनी में कमी हो जाती है.

उन्होंने इन अफवाहों को भी निराधार बताया कि किसी संक्रमित को देख लेने से यह बीमारी फ़ैल जाती है बल्कि संक्रमित व्यक्ति को छूने से फैलती है. उन्होंने लोगों को सुझाव देते हुए कहा कि बिना हाथ धोए उंगलियों को अपनी आंखों से ना लगाएं. अधिक अधिक भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज़ करें. डॉ संदीप ने कहा कि यह संक्रमण 7 से 14 दिन में ठीक हो जाता है, इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है. जब भी आंखों में ऐसी कोई समस्या दिखे तो तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में जाएं और आंखों का चेकअप करवा लें. उन्होंने बताया कि जैसे जैसे वातावरण में नमी कम होती जायेगी, वैसे वैसे इस संक्रमण का खतरा भी कम होता जाएगा.

वृद्धाश्रमों का बढ़ता चलन चिंताजनक

जम्मू मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉ अशोक शर्मा का कहना है कि वायरल कंजंक्टिवाइटिस के दौरान अधिकांश लोग खुद ही आंखों का इलाज करना शुरू कर देते हैं, जो कई बार नुकसानदायक होता है. यह वायरस हवा के माध्यम से फैलता है. इसीलिए शहरों के साथ साथ यह ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में जहां भीड़भाड़ अधिक होने और कचरे का सही निस्तारण नहीं होने के कारण यह बीमारी तेज़ी से फ़ैल रही है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता के अभाव में यह बीमारी अपने पैर पसार रही है. डॉ शर्मा ने कहा कि सावधानी और जागरूकता इस बीमारी से लड़ने और बचने का सबसे कारगर हथियार है. (चरखा फीचर)

         हरीश कुमार

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