मान्यता के अनुसार काशी भगवान भोलेनाथ की नगरी है। यहां शिव है,साथ में गंगा भी है। इनके प्रति भक्ति भाव का विलक्षण रूप होता है। यह काशी की परंपरा में समाहित है। माथे पर चंदन तिलक,दोनों हाँथ उठाकर हर हर महादेव का उद्घोष समूचे वातावरण को भक्तिमय बना देता है।
इस भक्ति में उत्साह है,उमंग है,समरसता है,यही सब काशी की विशिष्ट पहचान है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व उनके परिजन आध्यात्मिक प्रवत्ति के है। पहले भी तीर्थ यात्राओं पर जाते रहे है। काशी आये तो यहां की परंपरा का पालन किया। यहां राष्ट्रपति श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। इसके बाद दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भी शामिल हुए।
रामनाथ कोविन्द ने दशाश्वमेध घाट पर सपत्नी,बेटी के साथ गंगा आरती का दृश्यवलोकन किया। गंगा आरती को नौ ब्राह्मणों द्वारा अठारह रिद्धि सिद्धि बालिकाओं के साथ संपन्न किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। राष्ट्रपति को मुख्यमंत्री ने स्मृतिचिह्न भेंट किया।
राष्ट्रपति सपरिवार गंगा सेवानिधि के कार्यालय पहुंचकर आर्ट गैलरी का अवलोकर भी किया। इस मौके पर उनकों स्मृति चिह्न दिया गया। करीब एक घंटे से ज्यादा वक्त तक राष्ट्रपति दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा सेवा निधि की नियमित गंगा आरती में शामिल हुए। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। विशेष गंगा आरती के समय रामनाथ कोविंद व उनके परिजन पूरे भक्ति भाव में लीन दिखाई दिए।