दिल्ली की सीएजी रिपोर्ट में Ration Card को लेकर बड़ी गड़बड़ी का खुलासा सामने आया है। सूत्रों के अनुसार CAG रिपोर्ट में अब तक 50 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं। इन मामलों में नियमों को ताक पर रखकर गड़बड़ी की गई है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल ने मामले का ठीकरा एलजी के सिर फोड़ा है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार सीएजी रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है।
- रिपोर्ट के आधार पर केजरीवाल सरकार सीबीआई से जांच के लिए कदम बढ़ायेगी।
4 लाख फर्जी Ration Card
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दावा किया है कि CAG रिपोर्ट में शामिल की गई गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के मामले में किसी को छूट नहीं दी जायेगी। वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 4 लाख फ़र्ज़ी राशन कार्ड से 150 करोड़ रुपये प्रति माह का राशन एडजस्ट करने की गई।
- इसके साथ फरवरी में 4 लाख़ फ़र्ज़ी कार्डों को पकड़ा गया।
माफियाओं की जद में राशन सिस्टम
फर्जी राशन कार्ड बनाकर राशन की बंदरबाट मामले में लगभग 4 लाख राशन बनाये गये। जिसके माध्यम से लगभग 150 करोड़ रूपये का राशन प्रतिमाह एडजस्ट किया जाता था। इसके लिए मंत्री ने 10 मार्च को फर्जी राशन कार्ड कैंसिल करने पर रोक लगाई थी।
- इसके साथ सीएम केजरीवाल ने कैग रिपोर्ट के आधार पर कहा कि पूरा राशन सिस्टम माफियाओं की जद में है।
- जिनको भ्रष्टाचारियों का समर्थन मिला हुआ है।
- जिनके सहारे इस पूरे सिस्टम के माध्यम से घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था।
CAG रिपोर्ट का खुलासा
CAG की रिपोर्ट के अनुसार फर्जी राशन कार्डों में खुलासा हुआ है कि अधिकतर महिला सदस्यों की उम्र 18 वर्ष के नीचे पाई गई। यही नहीं 12852 मामलों में घरों में एक भी महिला सदस्या नहीं पाई गई। ऐसे हजारों परिवारों को राशन दिया गया जो गरीबी रेखा से ऊपर पाये गये। राशन ले जाने वाली 207 गाड़ियों में से 42 बगैर रजिस्ट्रेशन वाली थी। आठ गाड़ियां ऐसी पाई गई जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर टू व्हीलर, थ्री व्हीलर या बस का मिला। जिससे 1500 क्विंटन से ज्यादा राशन ढ़ोया गया।
- राशन कार्ड धारकों के एसएमएस अलर्ट के बजाय 2453 मामलों में राशन दुकानदारों का ही नंबर निकला।
- 16 लाख काल में से लगभग 40 प्रतिशत का ही जवाब मिला।
- लगभग 410 राशन कार्डों पर परिवार के एक सदस्य का ही नाम दोहराया गया।
- अधिकारियों ने फील्ड इंस्पेक्शन किया ही नहीं।