भारत सरकार ने कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवा रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाकर लगभग दो गुना करने की इजाजत दे दी है. फिलहाल इस दवा के भारत में हर महीने कुल 38.80 लाख वायल तैयार किए जाते हैं. सरकार ने इसे बढ़ाकर 78 लाख वायल तक करने की अनुमति दे दी है. यह जानकारी भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में दी गई है.
बयान में कहा गया है कि रेमडेसिविर बनाने वाले छह निमातज़ओं को सात नए प्लांट्स में यह दवा बनाने की छूट फास्ट ट्रैक अप्रूवल के तहत दी गई है. इससे दवा का उत्पादन हर महीने करीब 10 लाख वायल तक बढ़ाया जा सकेगा. इसके अलावा हर महीने करीब 30 लाख वायल की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया भी पाइपलाइन में है. उत्पादन क्षमता में इस इजाफे के बाद देश में हर महीने करीब 78 लाख वायल रेमडेसिविर का प्रोडक्शन किया जा सकेगा. केमिकल एंड फर्टिलाइजर विभाग के राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रेमडेसिविर की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मंजूरी देने का फैसला, इस दवा को बनाने वाली मौजूदा सभी कंपनियों के साथ एक बैठक के बाद किया. इस बैठक में दवा की उपलब्धता से जुड़े तमाम पहलुओं की गहराई से समीक्षा की गई.
बयान में बताया गया है कि रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनियों ने महामारी के खिलाफ जंग में सहयोग करने के लिए इस महत्वपूर्ण दवा का दाम इस हफ्ते के अंत तक घटाकर 3500 रुपये से नीचे लाने का वादा किया है. दवा निर्माताओं से यह भी कहा गया है कि वे अस्पतालों और मेडिकल संस्थाओं की जरूरतों को पूरा करने को प्राथमिकता दें. राज्यों और केंद्र सरकार की एजेंसियों को डीसीजीआई ने रेमडेसिविर की जमाखोरी, कालाबाजारी और ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायतों पर फौरन कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है. साथ ही नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी भी दवा की उपलब्धता और कीमतों पर लगातार नजर बनाए हुए है.
देश में पिछले कुछ दिनों के दौरान कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से रेमडेसिविर की कमी की खबरें लगातार आ रही हैं. देश के कई राज्यों में इस दवा की कालाबाजारी किए जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं. हालांकि डॉक्टर बार-बार चेतावनी दे चुके हैं कि यह दवा कोरोना वायरस से पीड़ित हर मरीज को नहीं दी जा सकती. दवा के साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर इसका प्रयोग बेहद सावधानी से और मरीज की सेहत के बारे में पूरी जानकारी करने के बाद ही करते हैं. फिर भी कई जगहों से ऐसी खबरें आईं कि मरीजों और उनके परिजनों की तरफ से रेमडेसिविर दिए जाने के लिए दबाव बनाया जाता है. ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि कई दुकानदार लोगों की घबराहट का फायदा उठाकर यह दवा तय कीमत से काफी ज्यादा दामों पर बेचते हैं.
देश में रेमडेसिविर की कमी दूर करने के लिए सरकार पहले ही इसके निर्यात पर पाबंदी लगा चुकी है. यह पाबंदी डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की तरफ से 11 अप्रैल 2021 को जारी एक आदेश के जरिए लगाई गई है. सरकार के इस दखल के बाद एक्सपोर्ट के लिए निर्मित करीब 4 लाख वायल भी घरेलू बाजार के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं. एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स और स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन के तहत आने वाली इकाइयां भी घरेलू बाजार में ही सप्लाई कर रही हैं.