लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल प्रदेश के राज्यपाल से भेंटकर गन्ना किसानों और प्रदेश की अन्य ज्वलंत समस्याओं से सम्बन्धित 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मण्डल में राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे, टीम आरएलडी के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव आरिफ महमूद, युवा रालोद के राष्ट्रीय महासचिव अम्बुज पटेल, वरिष्ठ नेता रजनीकांत मिश्रा, वरिष्ठ नेता मनोज सिंह चौहान वरिष्ठ नेता बीएल प्रेमी, युवा रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल, वरिष्ठ नेता वेद प्रकाश मिश्रा, जिलाध्यक्ष सीतापुर आरपी सिंह चौहान, रालोद नेता आशीष तिवारी मौजूद रहे।
राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में प्रतिनिधि मण्डल ने अवगत कराते हुये कहा कि उप्र. गन्ना किसानों का वर्ष 2021-22 का गन्ना भुगतान सहकारी व निजी चीनी मिलों पर 1,77,648.96 करोड रूपया बकाया है किसानों की फसलों की लागत बढ़ गई है और मंडियों में लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा। सरकार का किसानों की आय दुगुनी करने का वादा जुमला बनकर रह गया है।
किसानों के पास न दवाई के लिए पैसे हैं और न ही बच्चों की पढ़ाई के लिए। उ0प्र0 में आयेदिन किसी न किसी जनपद में महिला उत्पीड़न की घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं। नौकरी पाने के लिए प्रदेश का युवा वर्ग दर दर की ठोकरे खा रहा है लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
ज्ञापन में मांग की गयी कि गन्ना किसानों को बकाया गन्ना मूल्य मय ब्याज के तत्काल भुगतान कराया जाए, स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फाॅर्मूेले के अनुसार MSP की गारण्टी का कानून बनाया जाए, लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीडि़त किसान परिवारों को इंसाफ दिलाया जाए, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत व उप्र. के सिक्ख व पूर्वांचलों के अन्य जनपदों के उपनिवेशन की भूमि कई पीढि़यों से खेत जोत रहे किसानों को उनकी जमीन से, जंगल विभाग की सम्पत्ति के नाम पर बेदखल करना बंद किया जाएं, उन्हें मालिकाना हक दिया जाए, किसानों के सभी कर्जे माफ किये जाएं तथा किसान आन्दोलन के दौरान दर्ज किये गये सभी मुकदमें वापस लिए जाएं, आवारा पशुओं पर रोक लगाई जाए तथा आवारा पशुओं से किसानों को होेने वाले नुकसान की भरपाई की जाए, महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर तत्काल अंकुश लगाया जाय जिससे प्रदेश की महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें, सरकारी नौकरियों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुष लगाते हुये युवाओं/बेरोजगारों को शीघ्र नौकरियां दिलाई जाएं, अग्निपथ योजना वापस ली जाए तथा कानून व्यवस्था को चुस्त और दुरूस्त किया जाए।