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सुरसा के मुँह जैसे बढ़ रही महँगाई और मुख्यमंत्री कर रहे योजनाओं की घोषणा- रालोद

वास्तविकता यह है कि प्रदेश से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक इस मंहगाई का “म” भी बोलने तक को तैयार नहीं है, जो समाज के साथ अस्वाभाविक व्यवहार कहा जा सकता है। -सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी, रालोद नेता 

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि सभी विभागों के मंत्री और स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री विभिन्न प्रकार की योजनाओं की घोषणाएं कर रहे हैं। साथ ही साथ विभागों की छवि सुधारने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन, सुरसा राक्षसी के मुंह के समान बढ़ रही मंहगाई पर सरकार का कोई भी मंत्री और स्वयं मुख्यमंत्री भी कुछ बोलने के लिए तैयार नही है, जबकि प्रदेश की आम जनता मंहगाई से कराह रही है।

सुरसा के मुँह जैसे बढ़ रही महँगाई और मुख्यमंत्री कर रहे योजनाओं की घोषणा- रालोद

रालोद नेता सुरेंद्र नाथ ने कहा कि मध्यमवर्गीय परिवारों को दो जून की रोटी जुटाने में अथक परिश्रम करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, भोजन की थाली से सब्जियां लगभग गायब हैं जो चिंता का विषय है। श्री त्रिवेदी ने कहा कि आज भोजन की थाली के साथ साथ अपने परिवार के लिए मकान बनाने जैसे विचार मध्यम वर्ग के लिए बहुत कठिन हो गया है क्योंकि सीमेंण्ट सरिया, मौरंग बालू आदि सभी कुछ आवश्यकता से अधिक मंहगे हो गये हैं।

आम उपभोक्ता को समाज अथवा दुकानदार के सामने तर्क करते समय यही उत्तर मिलता है कि इस अभूतपूर्व मंहगाई के पीछे डीजल पेट्रोल की बढोत्तरी ही है। वास्तविकता यह है कि प्रदेश से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक इस मंहगाई का “म” भी बोलने तक को तैयार नहीं है, जो समाज के साथ अस्वाभाविक व्यवहार कहा जा सकता है। पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की मूल्य बढोत्तरी के फलस्वरूप लगभग 5 हजार रूपये प्रतिमाह का खर्च प्रत्येक परिवार पर बढ़ गया है, जबकि इन वस्तुओं पर लागू टैक्स से प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार के साथ साथ इससे सम्बन्धित व्यापारियों और कम्पनियों पर की आय प्रतिदिन अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है।

रालोद के वरिष्ठ नेता ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार के मुखिया को उस निरीह जनता के बारे में भी विचार करना चाहिए जिसने अपने मत से दोनो ही सरकारों का गठन किया है। जनता अच्छे दिनों की प्रतिक्षा में अपना धैर्य बनाये हुये हैं और किसी भी प्रकार अपने बच्चों का लालन पालन कर रही है, परन्तु सरकारों को भी इस सन्दर्भ में राहत देने पर विचार करना चाहिए। सरकार का आश्वासन ही जनता का सम्बल होता है और सरकार इस सन्दर्भ में कोई आश्वासन भी नहीं दे रही है। जिस प्रकार प्रदेश के युवाओं और बेरोजगारों को सरकार नौकरियों अथवा रोजगारों का आश्वासन देती है उसी प्रकार आम उपभोक्ता भी आस लगाये रहता है।

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