- Published by- @MrAnshulGaurav
- Wednesday, August 03, 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती को लीगल नोटिस भेजा गया है. लखनऊ निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने यह लीगल नोटिस बीते कल उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के लखनऊ स्थित कार्यालय के प्राप्ति पटल पर प्राप्त कराया है.
बकौल उर्वशी उप्रेती ने एक ऑनलाइन वेबिनार में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के दुरुपयोग पर सार्वजनिक वक्तव्य दिए थे और एक समाचार पत्र को भी इस विषय पर स्टेटमेंट दिए थे जिनका प्रकाशन भी हुआ था.
उर्वशी ने बताया कि जब उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के दुरुपयोग के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग, लखनऊ; केन्द्रीय सूचना आयोग, नई दिल्ली और भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में अलग-अलग आरटीआई अर्जियां दीं तो इन तीनों लोक प्राधिकरणों के जन सूचना अधिकारियों ने उनको लिखकर दिया कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग, लखनऊ; केन्द्रीय सूचना आयोग, नई दिल्ली और भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के किसी भी किस्म के दुरुपयोग से सम्बंधित कोई भी रिकॉर्ड नहीं है.
उर्वशी का कहना है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार में आरटीआई मामलों का नोडल विभाग है, भारत का केन्द्रीय सूचना आयोग केन्द्र सरकार और यूनियन टेरीटरियों के आरटीआई मामलों की सर्वोच्च स्वायत्त संस्था है और यूपी का राज्य सूचना आयोग यूपी के आरटीआई मामलों की सर्वोच्च स्वायत्त संस्था है और इन तीनों का एक सुर में यह कहना कि इनके पास सूचना कानून के दुरुपयोग की कोई भी जानकारी नहीं है, रिकॉर्ड के आधार पर सीधे-सीधे यह प्रमाणित कर रहा है कि आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग होने की उप्रेती की बातें प्रथम दृष्टया मिथ्या हैं.
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का हवाला देते हुए उर्वशी का कहना है कि इस कानून के दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई कानून में पहले से ही व्यवस्था दी गई है. उर्वशी कहती हैं आरटीआई के तहत जानकारी मांगने का अधिकार निरंकुश नहीं है क्योंकि दुरुपयोग से बचने के लिए आरटीआई एक्ट में धारा 8 है जो कि कुछ सूचनाओं का खुलासा करने से छूट प्रदान करता है;धारा 9 है जो कि कुछ मामलों में सूचना नहीं देने का आधार है; धारा-11 के तहत थर्ड पार्टी से संबंधित जानकारी नहीं दी जा सकती और धारा 24 के मुताबिक ये कानून कुछ संगठनों पर पूरी तरह से लागू नहीं होता है.
बकौल उर्वशी, उप्रेती द्वारा सूचना कानून की मंशा और कानून की इन धाराओं का सम्यक ज्ञान लिए बिना ही बिना किसी ठोस आधार के मात्र अपनी कपोल-कल्पनाओं और आरटीआई एक्ट के न्यून ज्ञान के आधार आरटीआई कानून को कमजोर करने वाली आरटीआई विरोधी टिप्पणियां करके आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की मानहानि और आरटीआई को क्षति पंहुचाने का कार्य किया है.
उप्रेती को भेजे विधिक नोटिस में उर्वशी ने अपेक्षा की है कि यूपी सूचना आयोग,सीआइसी और डीओपीटी के आरटीआई जवाबों के परिपेक्ष में उप्रेती अपने आरटीआई विरोधी वक्तव्यों के सम्बन्ध में चार सप्ताह में उत्तर सहित प्रमाण भेजने अथवा निःशर्त माफी मांगने में से एक कार्य करें और उप्रेती द्वारा ऐसा न करने पर मामला सक्षम न्यायालय में ले जाने की बात कही है.