• कपड़ों के बुनकरों ने किया शब्दों के बुनकरों को सम्मानित
लखनऊ। बंगला बाजार में चल रहे स्टेट हैंडलूम एक्सपो में आज मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड द्वारा शब्द बुनकर सम्मान 2023 एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की खूबी रही कि इसमें कपड़ों के बुनकरों ने शब्दों के बुनकरों का सम्मान किया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ आईएएस डॉ अखिलेश मिश्रा को गीत और गजल के लिए, प्रख्यात व्यंग्यकार पंकज प्रसून को हास्य व्यंग्य के लिए, डॉक्टर सरला शर्मा को गजल के लिए, मुंबई के राजेश कुमार को दोहा विधा के लिए एवं न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर संदीप अग्रवाल को मुक्त छंद विधा के लिए शब्द बुनकर सम्मान 2023 से विभूषित किया गया।
मर्द और औरत बराबर, फिर औरत कमज़ोर कैसे?
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खादी ग्रामोद्योग विकास बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं आईएएस अरुण प्रकाश ने कहा कि कवि शब्दों की सिलाई लेकर संवेदना के धागों से सरोकारों और संस्कारों को बुनने का काम करता है। कभी का काम वही है जो वास्तव में बुनकर का है।सम्मान समारोह के बाद डॉक्टर अखिलेश मिश्रा के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने निम्न कविताएं पढ़ी..
जिन परिंदों की परछाईयां, हम ज़मीं पर पकड़ते रहे।
वो तो परदेस में जा बसे, कसमसाते रहे इश्क़ है।।
हम छुपाते रहे इश्क़ है, गुनगुनाते रहे इश्क है।
वो जताते रहे इश्क है, हम छुपाते रहे इश्क है..(डा अखिलेश मिश्रा)
मेरे बुनकर साथी बोलो यह कैसा ताना-बाना।।।
कैसे सीखा तूने जीवन को धागों पर बुन जाना..(सरला शर्मा)
इतने उत्साहित हैं भैया जाने क्या कर जाएंगे।
इतना प्यार करो ना हमसे जीते जी मर जाएंगे।।
मैंने पूछा आखिर कब तक गड्ढा मुक्त बनेंगी सड़कें।
वह बोले बारिश आने दो सब गड्ढे भर जाएंगे।।..(पंकज प्रसून)
जाने कब का सिलसिला कटते रहे दरख़्त।
अब बिजली की तार पर चिड़िया काटे वक्त।v…(राजेश कुमार)
घर चलाने की जंग लड़ता हूं रोजाना।
यूं आकर देखो जरा मेरे हाथ में तलवार नहीं।।।
इस बड़े देश का छोटा नागरिक हूं मैं
किसी झगड़े किसी बवाल से सरोकार नहीं।v…(डा संदीप अग्रवाल)
कार्यक्रम का संयोजन डॉक्टर रिचा आर्य ने किया।