शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) साल की सभी 12 पूर्णिमा तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है और इस रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखने का महत्व शास्त्रों में बहुत खास माना गया है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से उसमें अमृत वर्षा होती है और अगले दिन सुबह इस खीर को खाने से न सिर्फ आपको सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है। बल्कि खीर के चमत्कारिक प्रभाव से आपके कई रोग दूर हो जाते हैं। ऐसी लोक मान्यता है।
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन के देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं। इसके साथ ही द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास किया था और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं।
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यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। मां लक्ष्मी को भी मखाने और दूध से बनी खीर बेहद प्रिय है। यह भी एक वजह है कि शरद पूर्णिमा यानी कि मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव पर उनकी प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की ठंडी चांदनी के साथ आसमान से अमृत बरसता है। इसलिए लोग इस दिन खीर बनाकर उसे रात भर चांदनी में रखते हैं। साथ ही, लोग मिट्टी के घड़े या बर्तन में पानी भरकर छत पर रखते हैं और अगले दिन इस पानी से नहाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में रखी खीर खाने के कई फायदे बताए जाते हैं। यह खीर कई रोगों से मुक्ति दिला सकती है, खासकर चर्म रोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसके अलावा, यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार मानी जाती है। मान्यता है कि यह खीर खाने से दोष दूर होते हैं। साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी दिलाती है। प्रसाद के रूप में यह खीर खाने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और मां लक्ष्मी का हाथ आपके सिर पर हमेशा रहेगा। नोट-लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह