• माता सीता के कुल देवी के रूप में की जाती है पूजा।
• मान्यता है कि पूजा करने से सभी मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण।
अयोध्या। राम नगरी अयोध्या में चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र के अष्टमी व नवमी दिन अयोध्या के प्रमुख सिद्ध शक्ति पीठ माँ छोटी देवकाली मंदिर में विशेष रूप में पूजा होती है। इस अवसर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। अयोध्या में माता सीता द्वारा स्थापित माता पार्वती की प्रतिमा जो आज माँ देवकाली के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस स्थान पर पूजा आराधना करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
माता सीता की कुल देवी के रूप की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीराम की पवित्र नगरी अयोध्या में छोटी देवकाली मंदिर में नगर देवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी के रूप में विराजती हैं। श्री देवकाली मंदिर में माता सीता की कुल देवी के रूप में इस शक्ति पीठ में विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।
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विश्व में श्रेष्ठ तीर्थस्थलों में रामनगरी अयोध्या प्रमुख है। श्री देवकाली मंदिर स्थान का ऐसी मान्यता है कि मां सीता जब जनकपुरी से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थी, तो अपने कुल देवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ ले आयीं।
महाराज दशरथ ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशानकोण पर पार्वती जी का मंदिर बनवा दिया था जहां माता सीता तथा राजकुल की अन्य रानियाँ पूजन हेतु जाया करती थीं। आज यह रामायण कालीन मंदिर अपनी भव्यता और श्रेष्ठता के चलते भारत का प्रमुख देवस्थल बन चुका था।
हूण और मुगल शासक द्वारा इस स्थान को किया गया था ध्वस्त
इतिहास में हैं कि हूणों और मुगलों के आक्रमण से देवकाली मंदिर दो बार ध्वस्त हुआ। पहली बार इसका पुनर्निमाण महाराज पुष्यमित्र ने और दूसरी बार मुगलों द्वारा ध्वस्त किये जाने पर बिन्दु सम्प्रदाय के महंत ने इस भव्य मंदिर के स्थान पर एक छोटी सी कोठरी का निर्माण कराया। तब से आज तक इस मंदिर में पूजा पाठ चल रहा है। रूद्रयामल और स्कन्दपुराण में भी श्री देवकाली जी और उनके मंदिर का उल्लेख मिलता है। जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है।
वही चीनी यात्री ह्वेनसांग व फाहियान ने भी अपने यात्रा में इस मंदिर की प्रतिष्ठा, वैभव और विशेषता का उल्लेख किया है।देवकाली मंदिर में वर्ष भर मां देवकाली की पूजार्चना और परंपरागत उत्सवों का क्रम जारी रहता है। नवरात्र के दौरान तो यहां भक्तों की श्रद्धा उमड़ पड़ती है।
पुजारी के अनुसार यह स्थान माता सीता की कुल देवी का है माता सीता माँ पार्वती का गौरी के रूप में पूजन करती थी। ऐसी मान्यता है की जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस दरबार में कोई प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है।श्रद्धालुओं में पुरूष, महिला, बच्चे सभी शामिल होते हैं।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह