कोरोना काल के दौरान लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने और उनकी काउंसिलिंग करने के लिए यूपी में यूनिसेफ और एनएसएस का सफल अभियान
लखनऊ। कई तरह की चिंताओं से घिरने के बाद इंसान कब तनाव या डिप्रेशन का शिकार हो जाता है ही नहीं चल पाता। धीरे-धीरे ये समस्या मानसिक बीमारी में बदल जाती है। कोराना काल में इस तरह की समस्याएं और बढ़ीं। नौकरियां जाने, परीक्षा न होने, रोजगार छिनने जैसी तमाम समस्याओं ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने और काउंसिंग से उनके चेहरों पर मुस्कान वापस लाने में ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ अभियान ने बड़ी भूमिका निभाई। यूपी के 75 जिलों में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस)-यूपी के सहयोग से यूनिसेफ-यूपी द्वारा 10 सितंबर, 2021 से 10 अक्टूबर, 2021 तक चलाए गए मुस्कुराएगा इंडिया अभियान से जुड़कर लाखों चेहरों पर मुस्कान लौटी। अभियान की सफलता और अनुभवों को साझा करने के लिए लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में काउंसलर्स व युवा कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।
इस दौरान मुस्कुराएगा इंडिया अभियान के बारे में बताते हुए यूनिसेफ लखनऊ में सीफॉरडी शाखा में कम्युनिकेशन फॉर डवलपमेंट स्पेशलिस्ट भाई शेली ने कहा, “आज 15-24 साल के 15% युवा तनाव व चिंता जैसे मामलों के शिकार हैं। मुस्कुराएगा इंडिया, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बड़ा अभियान है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुक करने के लिए इस अभियान को घर-घर पहुंचाना होगा। लोगों की काउंसिलिंग करनी होगी।”
भाई शेली ने बताया, “मुस्कुराएगा इंडिया प्रोग्राम से जुड़े 120 से अधिक अध्यापक काउंसलर की भूमिका निभा रहे हैं। कोविड काल में शुरू हुए इस अभियान की सराहना यूपी सरकार ने भी की।” प्रदेश के 35 विश्वविद्यालयों से काउंसलर्स और एनएसएस के नोडल अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ की मुहिम से जुड़कर अपनी सेवाएं दीं। लोग काउंसलर्स से बात कर सकें इसके लिए एक टेली काउंसिलिंग नंबर 6390905002 भी जारी किया गया। लोग इस नंबर पर सोमवार से शनिवार तक शाम 3-5 बजे तक कॉल करके अपनी समस्याओं पर बात कर सकते थे। इस दौरान मिले जानकारियों और आंकड़ों को मुस्कुराएगा इंडिया ऐप पर भी दर्ज किया गया।
ललितपुर के नेहरू पीजी कॉलेज के प्रो. ओपी चौधरी ने अनुभव साझा करते हुए कहा, “बच्चे हिचकिचाते हैं, उन्हें लगता है कि डिग्री कॉलेज के टीचर काफी बड़े हैं। हम काउंसिलिंग के द्वारा बच्चों को उनकी समस्याओं से निकालते हुए अधिक से अधिक लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं। ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ के अभियान के दौरान महिलाओं, बुजुर्गों के साथ ही सबसे अधिक युवाओं ने भागीदारी की। विश्वविद्यालयों में एनएसएस के कार्यकर्ताओं ने युवाओं की काउंसिलिंग में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जिलों में रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर कैंपेन और जनजागरुकता के कार्यक्रमों के आयोजनों से लाखों लोगों को लाभ मिला।
लखनऊ विवि ज्योलॉजिस्ट प्रो. विभूति राय ने कहा कि देश में न जाने कितने लोग होंगे जो चेहरों पर मुस्कान लेकिन अंदर किसी दर्द से जूझ रहे होते हैं। बहुत से लोग कुछ न कर पाने की वजह से हताश हो जाते हैं। मुस्कुराएगा इंडिया एक ऐसी पहल है जो पहले सोची नहीं गई। कोविड के दौरान कई घरों में काफी परेशानियां हुईं, लोग मानसिक तनाव में रहे। ये अभियान सभी के लिए सार्थक पहल है। इस अभियान से जुड़ी एक काउंसलर एकता ने अपना अनुभव साझा किया, “आठ साल पहले मैं खुद डिप्रेशन की शिकार हुई थी। डॉक्टर ने दवाइयों से सही किया।
अगर मैं इससे जुड़ी होती या इस तरह की पहल की शुरूआत पहले हुई होती, तो दवा की जरूरत ही नहीं पड़ती। अगर इन समस्याओं से निकलना है तो अपनी बात को दूसरों के साथ शेयर करना होगा।” लखनऊ में हुई कार्यशाला के दौरान प्रदेश भर से आए काउंसलर्स और युवाओं को प्रशस्ति पत्र वितरित करके सम्मानित भी किया गया।