मकान का निर्माण करते वक्त हम कई ऐसे कार्यों को बहुत प्राथमिकता देते है जिनसे हमारे घर की हर तरह से रक्षा की जा सकें। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहे। मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग है। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण पर संपूर्ण पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है।
नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे। शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं।
इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान पर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें। विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है, जो नागों को सबसे ज्यादा प्रिय है। भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग हैं ही। लक्ष्मण और बलराम भी शेषावतार माने जाते हैं। इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है।