नई दिल्ली। भारत में कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर आई है। जल्द ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी का प्रोडक्शन भी करेगा। सीरम फिलहाल देश में कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड का प्रोडक्शन कर रहा है।
मामले में रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड के सीईओ किरील दिमित्रीव ने बताया कि सीरम सितंबर से स्पुतनिक-वी का उत्पादन शुरू करेगा। यहां हर साल 30 करोड़ डोज तैयार किए जाएंगे। कुछ अन्य मैन्युफैक्चर्स भी भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए तैयार हैं। इससे पहले सीरम ने पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से स्पुतनिक-वी बनाने के लिए परीक्षण लाइसेंस की अनुमति मांगी थी। इसी के साथ सीरम ने टेस्ट एनालिसिस और एग्जामिनेशन के लिए भी आवेदन किया था। सीरम देश में स्पुतनिक बनाने वाली छठी कंपनी है।
मैन्युफैक्चरर्स बोले- हर साल 30 करोड़ डोज तैयार करेगा सीरम
भारत में स्पुतनिक-वी का प्रोडक्शन डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज द्वारा भी किया जा रहा है। स्पुतनिक-वी को डीसीजीआई से इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल भी मिल चुका है। इस रूसी वैक्सीन का इस्तेमाल 14 मई से शुरू हुआ था। स्पुतनिक अब तक 50 से अधिक देशों में रजिस्टर्ड है। एक स्टडी के मुताबिक, इसकी इफेक्टिवनेस 97.6% है।
करार को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि स्पुतनिक वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए RDIF के साथ हुई डील से हम काफी खुश हैं। आने वाले दिनों में हम कई लाखों वैक्सीन की डोज बनाने के लिए तैयार हैं। कोरोना को मात देने के लिए जरूरी है कि दुनिया के सभी देश और संस्था वैक्सीनेशन को लेकर एक साथ आएं।
क्यों खास है स्पुतनिक-वी
- रूस ने अपनी एंटी-कोविड-19 वैक्सीन का नाम स्पुतनिक-वी रखा, क्योंकि इसके जरिए वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि को याद रखना चाहता है।
- मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन ही 90% से अधिक इफेक्टिव साबित हुई हैं। इसके बाद स्पुतनिक-वी ही सबसे अधिक 91.6% इफेक्टिव रही है।
- यह वायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म पर बनी है यानी कोवीशील्ड जैसी ही है।
- स्पुतनिक-वी को अब तक दुनिया के 60 देशों में अप्रूवल मिल चुका है।
भारत में अब तक कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पुतनिक-वी को मंजूरी मिल चुकी है।