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महिला सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की राज्‍यों को एडवाइजरी- FIR दर्ज करना अनिवार्य

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की से कथित रूप से गैंगरेप और हत्या के मामले ने एक बार फिर महिला सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है. देश में इस बात को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को कैसे रोका जाए. देश में तेजी से बढ़ते महिला अपराध को देखते हुए गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है.

महिला अपराध के मामले में अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपराध होने के बाद भी थाने के चक्कर काटने को मजबूर होती हैं. सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा. मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें. गृह मंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि एडवाइजरी में जारी बातों पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

जारी एडवाइजरी में क्या है खास

>> सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में साफ किया गया है कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में फआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है. जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो.

>> IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है.

>> सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है. अपराध में जांच की प्र​गति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है.

>> सीआरपीसी के सेक्‍शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्‍टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा.

>> सरकार की ओर से बताया गया है कि दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है. ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है.

>> इसके साथ ही एडवाइजरी में बताया गया है कि इंडियन एविडेंस एक्‍ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्‍यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्‍य होगा.

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