लखनऊ। गुरुवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने चिनहट के देवा रोड स्थित 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र का औचक निरीक्षण किया। जिस दौरान वहां मिली खामियों को देखते हुए मा. मंत्री ने अफसरों को कड़ी फटकार लगाई व काम में लापरवाही पाए जाने पर क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता और अधिशाषी अभियंता को चार्जशीट किये जाने के निर्देश भी दिए।
ऊर्जा मंत्री : जनता दर्शन में मिली शिकायतों के चलते उठाया कदम
चिनहट के देवा रोड स्थित 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र का उपभोक्ताओं द्वारा कई बार व्यवस्थाओं पर ऊर्जा मंत्री को जनता दर्शन में शिकायतें की गई थी। मेल और अन्य माध्यमों के जरिये भी यहां गलत बिल जारी करने, विद्युत कनेक्शन न दिए जाने, उत्पीड़न की शिकायतें की गई थी। जिसका संज्ञान लेते हुए मंत्री जी ने सुबह 10:00 बजे उपकेंद्र का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां पर तैनात अधिशाषी अभियंता और अन्य सहयोगी स्टाफ अनुपस्थित रहा।
नहीं मिले सवालों के उचित जवाब
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अधिकारियों को मौके पर ही तलब कर पत्रावलियों का निरीक्षण किया। इस दौरान गलत बिल दिए जाने, समय से बिल न मिलने और कनेक्शन न दिए जाने के आवेदन भी लंबित मिले। मा. मंत्री ने इस सम्बंध में जब अधिकारियों से सवाल किया तो कोई भी तर्कपूर्ण जवाब नहीं मिला। इस पर मंत्री ने काफी नाराजगी व्यक्त की।
पहले भी आ चुकी हैं शिकायतें
इससे पूर्व भी दौरे के समय यहां पर तैनात अधिकारियों को लापरवाही के कारण चेतावनी भी दी जा चुकी थी। इसके बाद भी अपेक्षित सुधार न होने पर श्रीकांत शर्मा ने एमडी मध्यांचल संजय गोयल और चीफ इंजीनयर लेसा प्रदीप कक्कड़ को कार्यालय में तलब कर लापरवाही पर नाराजगी जताई। चीफ इंजीनयर को कड़ी चेतावनी देते हुए साफ किया कि भविष्य में ऐसी समस्या न आये साथ ही नियमित स्तर पर उपकेंद्रों का दौरा कर लापरवाह अधिकारियों को चिह्नित करने के निर्देश भी दिए।
लापरवाही पर एमडी मध्यांचल द्वारा अधीक्षण अभियंता अजय मिश्र और अधिशाषी अभियंता प्रेमचंद को चार्जशीट जारी की गई है। वहीं अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों से भी जवाब तलब किया गया गया है।
लापरवाही पर उच्चाधिकारी होने जिम्मेदार : श्रीकांत शर्मा
मा. मंत्री ने सभी डिस्कॉम्स के एमडी को निर्देशित किया है कि विद्युत संबंधी समस्या का समाधान उपकेंद्र स्तर पर तय सिटीजन चार्टर के अनुसार कराना सुनिश्चित करें। सभी चीफ इंजीनियर अपने अधीन आने वाले उपकेंद्रों का निरीक्षण और जन समस्याओं का निपटारा सुनिश्चित कराएं। उपभोक्ता देवो भवः की कार्यशैली को प्रदर्शित करें। लापरवाही पर उच्चाधिकारियों की ही जिम्मेदारी तय की जाएगी।