लखनऊ । स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के उपचार के लिए न्यूनतम 10 बेड का एक वार्ड आरक्षित किया गया है। चिकित्सालयों में मरीजों की सहायता के लिए फीवर हेल्प डेस्क गठित कर दिए गए है। सभी सरकारी चिकित्सालयों में डेंगू ग्रस्त मरीजों के उपचार की व्यवस्था की गई है। डेंगू की विशिष्ट जांचों के लिए प्रदेश में 37 एस0एस0एच0 लैब स्थापित है। मरीजों के उपचार हेतु प्लेटलेट्स की आपूर्ति के लिए 39 ब्लड कम्पोनेन्ट सेपरेशन यूनिट्स स्थापित है।
जल का एकत्रीकरण रोकना:-
यह जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने आज यहां दी। उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव हेतु सबसे महत्वपूर्ण कार्य जल का एकत्रीकरण रोकना है। डेंगू के मच्छर साफ पानी में ही अंडे देते हे। अंडे लार्वा, प्यूपा आदि में बदलकर दो सप्ताह में पूर्ण मच्छर बन जाते है। यदि पानी का एकत्रीकरण 07 दिन से पूर्व ही नष्ट कर दिया जाए तो डेंगू के मच्छर को पनपने का अवसर ही नहीं मिलेगा। प्रत्येक सप्ताह का रविवार दिवस ‘एन्टी मास्कीटो ड्राई डे‘ के रुप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया है। ‘हर रविवार मच्छर पर वार‘ के नाम से जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। प्रत्येक रविवार को समस्त जनसमुदाय को अपने-अपने घर एवं आस-पास अनावश्यक एकत्रित जल को हटाना है, पानी के गड्ढों को भर देना है। इस कार्य में सभी का सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि माह जुलाई से माह दिसम्बर तक मच्छरों के सक्रिय होने का समय रहता है। अतः इस अवधि में पूरी बांह के कपड़े पहनना, मच्छरदानी एवं मास्कीटो रिपेलेन्ट आदि का उपयोग करना अत्यन्त आवश्यक है। स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंह ने बताया कि जनपद स्तर पर डेंगू रोकथाम के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला समन्वय समिति का गठन किया जा चुका है। विद्यालय में एक अध्यापक को हेल्थ एजूकेटर नियुक्त कर उसे प्रशिक्षित कराये जाने तथा उसके द्वारा छात्रों को डेंगू से बचाव के विषय में जानकारी देने के लिए नामित करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उप्र सरकार डेंगू एवं समस्त वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण एवं उपचार के लिए पूर्ण रुप से प्रतिबद्ध एवं प्रयासरत है।