• डीएसटीबी रोगियों की देखभाल के लिए सेंटर को बनाया नोडल बिन्दु
• स्क्रीनिंग से लेकर सम्पूर्ण उपचार में सीएचओ की भूमिका अहम
• घर के नजदीक सेंटर पर ही मिल सकेंगी सभी दवाएं व परामर्श
वाराणसी में पिछले महीने आयोजीय ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट 2003’ के बाद से आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (Health and Wellness Cente) को और सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री के विजन को निरंतर गति दी जा रही है। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर मिलने वाली क्षयरोग संबंधी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि शासन से प्राप्त निर्देश के क्रम में जनपद के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को विभिन्न दिशा-निर्देश दिये जा चुके हैं। सेंटर पर चिन्हित क्षय रोगियों की जांच से लेकर सम्पूर्ण उपचार, निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान मिलने वाले हर माह 500 रुपये, पोषण पोटली और भावनात्मक सहयोग के लिए सीएचओ को प्रशिक्षित किया गया है जिससे वह अपनी जिम्मेदारियों का बेहतर निर्वहन कर सकें।
इसके साथ ही जिले के सभी 23 टीबी यूनिट के मेडिकल ऑफिसर टीबी कंट्रोल (एमओटीसी), एसटीएस, एसटीएलएस, टीबी हेल्थ विजिटर को नियमित मॉनीटरिंग के लिए भी दिशा-निर्देश जा चुके हैं। सीएमओ ने कहा कि जमीनी स्तर पर समुदाय को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें, इसके लिए विभाग पूरा प्रयास कर रहा है।
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जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में सभी सीएचओ के साथ वर्चुअल बैठक कर विभिन्न निर्देश दिये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ को सार्वजनिक (पब्लिक) और निजी (प्राइवेट) दोनों क्षेत्रों के ड्रग सेंसेटिव ट्यूबरक्लोसिस (डीएसटीबी) रोगियों की देखभाल के लिए नोडल बिंदु बनाया गया है। यहाँ टीबी लक्षणयुक्त संभावित मरीज की स्क्रीनिंग से लेकर उपचार के अलावा निक्षय पोर्टल पर नियमित डाटा फीडिंग पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से क्षय रोगियों को उनके घर के पास ही जांच एवं दवा उपलब्ध कराई जा रही है। एनटीईपी के सभी एसटीएस, एसटीएलएस, टीबी हेल्थ विजिटर व अन्य स्वास्थ्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वह सीएचओ के कार्यों की नियमित निगरानी करना सुनिश्चित करें।
कोरौता हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ प्रिया मल्ल बताती हैं कि ओपीडी में मिलने वाले टीबी लक्षणयुक्त संभावित मरीजों की सम्पूर्ण स्क्रीनिंग की जा रही है। निक्षय पोर्टल पर आईडी बनाकर उनका बलगम लिया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट सपोर्टर के माध्यम से बलगम जांच केंद्र तक पहुंचाया जा रहा है। पॉज़िटिव आने पर रोगी को तत्काल उपचार पर रखा जा रहा है। बलगम जांच निगेटिव आने के बाद भी रोगी में टीबी में सभी लक्षण दिख रहे हैं तो उनका एक्स-रे भी कराया जाता है।
निक्षय पोषण योजना में पंजीकरण करते हुये उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये की आर्थिक सहायता, सम्पूर्ण उपचार, पोषण पोटली, भावनात्मक सहयोग के साथ टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को भी दूर किया जा रहा है। क्षय रोगियों की सुविधा के लिए घर के नजदीक सेंटर से दवा दी जा रही है।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता