जब अधिकारी अनैतिक आचरण में लिप्त होते हैं, तो कानून प्रवर्तन में जनता का भरोसा कम होता है, जिससे संस्थाओं में विश्वास टूटता है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में पुलिस भ्रष्टाचार को भारत के सार्वजनिक संस्थानों में अविश्वास का एक प्रमुख कारण माना गया है। जब कानून प्रवर्तन अपराधियों को ...
Read More »Tag Archives: प्रियंका सौरभ
क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?
वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है और ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन भी ख़राब है। बेसिक आय इस ढेर सारे कार्यक्रमों की जगह ले सकता है, जिससे इससे जुड़ी ...
Read More »आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?
देश में जूडिशरी और पुलिसिंग की लचर व्यवस्था के चलते ही कई गंभीर से गंभीर मामलों के आरोपी भी अदालत से बाइज्जत बरी हो जाते हैं। इनके बरी हो जाने के बाद बौद्धिक वर्ग तमाम तरह के सवाल उठाने शुरू कर देता है। उसके बाद सिस्टम के उन लूपहोल्स पर ...
Read More »एक और अनोखी उड़ान, क्या होगा भारत का चाँद!
भारतकी अंतरिक्ष एजेंसी जल्द ही एक रॉकेट लॉन्च करने के लिए तैयार है जो चंद्रमा पर एक रोवर को उतारने का प्रयास करेगा और अंतरिक्ष अन्वेषण में एक शक्ति और अंतरिक्ष वाणिज्य की नई सीमा के रूप में देश के आगमन को चिह्नित करेगा। 75 मिलियन डॉलर से कम के ...
Read More »Agriculture Robot : किसानों का किफायती दोस्त
कृषि क्षेत्र में भारत में किसान घट रहे हैं। कुछ सामान्य वाक्यों को दोहराकर खेती के पेशे को छोड़ रहे हैं कि यह अब लाभदायक नहीं है, दिन-ब-दिन जोखिम भरा होता जा रहा है। इसके नुकसान युवाओं को भी इसमें रुचि नहीं लेने देते हैं। रोबोटिक्स निश्चित रूप से कृषि ...
Read More »बेलगाम शिक्षा व्यवस्था: किताबों में कमीशन का खेल, अभिभावक रहे झेल
स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी। निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर। स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी (NCERT) की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों ...
Read More »Hanuman Ji : साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक
हनुमान (Hanuman), जिन्होंने सीता देवी को दिखाने के लिए अपना हृदय खोल दिया कि भगवान राम और वह उनके हृदय में निवास करते हैं और उन्हें उनसे उपहार के रूप में मोतियों के हार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे अद्भुत समर्पण और बलिदान की आज कल्पना भी नहीं की जा ...
Read More »नौ दिन कन्या पूजकर सब जाते है भूल, देवी के नवरात्र तब लगते सभी फिजूल!
क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत ...
Read More »अब हमारी आदत ही बचा सकती है “पानी”
जल से जीवन है जुड़ा, बूँद-बूँद में सीख। नहीं बचा तो मानिये, मच जाएगी चीख।। हर घर, नल से जल योजना 2019 में लॉन्च की गई। जल शक्ति मंत्रालय की इस स्कीम का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप से पीने का पानी उपलब्ध कराना ...
Read More »समय न ठहरा है कभी रुके न इसके पांव, संग समय के जो चले पहुंचे अपने गांव
जब हम समय बर्बाद करते हैं, तो हम अवसरों से भी चूक जाते हैं। समय किसी का इंतजार नहीं करता और एक बार चला गया तो हमेशा के लिए चला गया। एक और तरीका है जिससे हम समय बर्बाद करते हैं वह है सोशल मीडिया पर घंटों बिताना या टीवी ...
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