बुलंद इरादे अपनत्व के दावे चांद तारे तोड़ लाने और जान की बाजी लगाने के वादे बहारों में मन को है बहलाते लेकिन पतझड़ में अलग होने लगते है साथ देने वाले बन जाते है बेगाने फिर बेरुखी की बातें दूर हो जाती है गलतफहमी खुल जाती है आंखें ना ...
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