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कुछ इस तरह निखारें आप अपना संपूर्ण व्यक्तित्व

कहा जाता है कि प्रेम में बहुत ताकत होती है। यह दिलों से नफरतों को दूर कर देता है ।वह प्रेम ही तो है जो पत्थर में भी जान फूंकने की सामर्थ्य रखता है इसलिए सदैव प्रेम बांटे और प्रेम प्राप्त करने का प्रयास करें ।दूसरों को स्नेह और प्रेम देने के साथ-साथ अपने आप से भी प्रेम करना सीखें।

    पिंकी सिंघल

किसी भी इंसान की पहचान उसका व्यक्तित्व ही माना जाता है। उसके व्यक्तित्व के आधार पर ही अक्सर उसके चरित्र का आँकलन भी किया जाता है। सर्वप्रथम हम किसी भी व्यक्ति को उसके व्यक्तित्व से ही तो जानते हैं और धीरे-धीरे यह जानना पहचानना में तब्दील होने लगता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके चरित्र का आईना ही होता है जो उसके गुणों और कमियों को बखूबी दर्शाता है।

हां, यह बिल्कुल सही है कि काफी हद तक किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके परिवार, खान पान, रहन सहन और उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर भी निर्भर करता है ।परंतु यह कदापि नहीं कि व्यक्ति अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन या सुधार नहीं ला सकता ।इसके विपरीत यदि व्यक्ति चाहे तो अपने दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति के आधार पर अपने को बदल सकता है ,अपने व्यक्तित्व को पहले से बेहतर बना सकता है। हां ,इसके लिए उसे अपने अंदर अपेक्षित सुधार लाने होंगे,यह तय है।

हमारे व्यक्तित्व के कुछ गुण हमें अपने परिवार से प्राप्त होते हैं सरल शब्दों में इसे वंशानुगत गुण अवगुण भी कह सकते हैं, वहीं दूसरी और कुछ अन्य गुणों को अपने व्यक्तित्व में विकसित करने के लिए हमें स्वयं प्रयास करने पड़ते हैं और अपने व्यक्तित्व को एक स्तर पर लेकर जाना होता है।वंशानुगत गुणों अवगुणों में भी हम काफी हद तक परिवर्तन ला सकते हैं, परंतु उसके लिए आवश्यक है कि हम स्वयं में परिवर्तन लाने की इच्छा रखें तथा अपने को पहले से बेहतर बनाने का दम भरें।

तो आज के अपने इस लेख में हम सब यह जानेंगे कि बिना कुछ खर्च किए बिना, किसी एक्स्ट्रा एफर्ट के भी हम अपने व्यक्तित्व को निखार कर उसमें किस प्रकार से चार चांद लगा सकते हैं, किस प्रकार हम दूसरों पर अपनी एक अमिट पहचान छोड़ सकते हैं ,किस प्रकार हम अपने व्यक्तित्व को ऊंचा उठा सकते हैं और दूसरों को प्रभावित करने के साथ-साथ स्वयं को किस प्रकार संतुष्ट कर सकते हैं क्योंकि आत्म संतुष्टि सभी प्रकार के सुखों से कहीं ज्यादा बढ़कर होती है,इसके अपने में अत्यधिक मायने होते हैं।

सर्वप्रथम, हम सभी को दूसरों के आदर सत्कार और इज्जत करने के साथ-साथ अपनी महत्ता का भी पता होना चाहिए। हमें इस बात का आभास होना चाहिए कि हम अपने आप में बहुत खास हैं, चाहे सामने वाले के जीवन में हमारा महत्व उतना नहीं। इसलिए खुद को पूरा सम्मान दें और अपनी इच्छाओं का आदर करना सीखें। ध्यान रहे, सम्मान और अभिमान में जमीन आसमान का अंतर है। अपने सम्मान और गुरुर को अपना अभिमान कभी न बनने दें क्योंकि अभिमान हमारे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

कहा जाता है कि प्रेम में बहुत ताकत होती है। यह दिलों से नफरतों को दूर कर देता है ।वह प्रेम ही तो है जो पत्थर में भी जान फूंकने की सामर्थ्य रखता है इसलिए सदैव प्रेम बांटे और प्रेम प्राप्त करने का प्रयास करें ।दूसरों को स्नेह और प्रेम देने के साथ-साथ अपने आप से भी प्रेम करना सीखें। जब आप अपने आप से प्रेम करना सीख जाते हैं तो आपकी अपेक्षाएं दूसरों से धीरे-धीरे कम होने लगती हैं और अपेक्षाओं का कम होना हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। अपने को अच्छा महसूस करवाने के लिए अपने से प्यार करें ,अपनी बातों को मान दें और अपनी कमियों को स्वीकारते हुए अपनी अच्छाइयों पर गर्व भी महसूस करें।

व्यक्तित्व को निखारने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारक यह भी है कि हम दिन भर के 24 घंटों में से एक घंटा सिर्फ और सिर्फ अपने लिए निकालें। हमें खुद पर काम करने की आवश्यकता है। अपने लिए समय निकलने का मतलब यह है कि उस 1 घंटे में आप वह सब कुछ करें, जो आपका मन आपको करने के लिए अक्सर कहता है, परंतु रोजमर्रा की संघर्षपूर्ण और भागदौड़ भरी जिंदगी और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर आप उन चीजों को कर नहीं पाते।

इस 1 घंटे में आपको सिर्फ अपने लिए जीना है क्योंकि बाकी के 23 घंटे तो आप अपनों के लिए जीते ही हैं। माना कि, अपनों के लिए कुछ करने से हमें संतोष मिलता है ,खुशी मिलती है। किंतु एक बार सिर्फ एक बार दिन में कुछ पलों के लिए अपने लिए भी जिएं, आपको अच्छा महसूस होगा।

यदि आप चाहते हैं कि आपके व्यक्तित्व की लोग प्रशंसा करें, आपकी तारीफ करें तो ऐसे में आपकी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है।आपको सदैव मुस्कुराते हुए ही दूसरे लोगों का अभिवादन करना चाहिए, दूसरों को मिलते समय अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान रखें और लोगों से प्रेम से मिलें जुलें। माना कि दुनिया में सब का स्वभाव अलग-अलग होता है,कुछ लोगों को सोशल गैदरिंग्स में एवं भीड़ भाड़ में रहने की आदत नहीं होती उन्हें एकांतवास पसंद होता है ,किंतु ,अपने चेहरे पर मुस्कान रखने से भी हम दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं।

उसके लिए हमें कुछ कहने बोलने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती।मुस्कुराहट तो प्रकृति प्रदत निशुल्क उपहार है मनुष्य के लिए, जिसका इस्तेमाल करने से वह कभी कम नहीं होती अपितु बढ़ती ही बढ़ती जाती है ।एक चेहरे की मुस्कान ना जाने कितने ही चेहरों को मुस्कुराहट प्रदान करती है और साथ ही साथ मुस्कुराने से आपके चेहरे की खूबसूरती की कीमत कई गुना बढ़ जाती है वह भी बिना कुछ खर्च किए।

कहा जाता है कि जैसा हम सोचते हैं हम बिल्कुल वैसे ही बन जाते हैं ,तो क्यों ना दोस्तों ,हम सिर्फ अच्छा ही अच्छा सोचें क्योंकि बुरा और गलत सोचने से भी चीजें बदलने वाली नहीं होती,अपितु,उनका उल्टा असर ही देखने को मिलता है। हम दूसरों का हित नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं,किंतु, हमें स्वयं को किसी का अहित करने से रोकना चाहिए ।हमें हर पल यह ख्याल रहना चाहिए कि चाहे हमें कोई देख रहा है अथवा नहीं ,परंतु परमपिता परमात्मा की नजर सदैव हमें पर लगी रहती है। इस भाव के साथ यदि आप जीवन व्यतीत करते हैं तो आप कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकते । इस प्रकार की सोच रखने से हमारे भीतर सकारात्मक उर्जा भी उत्पन्न होती है जो हमारे व्यक्तित्व में साफ झलकती है।

अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए हमें किसी विशेष शिक्षण प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। परंतु, यदि आपको कभी ऐसा लगता है कि आप अपने व्यक्तित्व को एक अलग ही स्तर पर ले जाना चाहते हैं तो जगह जगह पर आजकल पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के लिए वर्कशॉप और सेमिनार का आयोजन किया जाता है। आप चाहें, तो वहां जाकर भी कक्षाएं अटेंड कर सकते हैं और अपने व्यक्तित्व को एक बेहतर आयाम और नया रूप दे सकते हैं।एक और बात, इस प्रकार की कक्षाओं के लिए आपको कुछ शुल्क भी देना होता है ,यदि आप उसके लिए तैयार है तो निसंदेह आपको ऐसी कार्यशालाओं में जाना चाहिए।

आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि दूसरे लोग उसकी तारीफ करें ,उसके विशेष गुणों की प्रशंसा करें और हर छोटे बड़े अवसर पर उसका साथ चाहें।इसमें कोई बुराई भी नहीं है। यदि आप भी इसी प्रकार दूसरों की नजरों में स्वयं को ऊंचा उठाना चाहते हैं तो आपको इतना काबिल बनना होगा कि लोग आपके सानिध्य में समय व्यतीत करना चाहें।इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है अपितु, अपने भीतर सही को सही और गलत को गलत कहने की आदत को विकसित करना है, दूसरों की मुसीबत में उनका साथ देना है और जरूरत पड़ने पर उनका साथ पाने से हिचकिचाना नहीं है। जब आप दूसरों को अपना मानेंगे तभी तो दूसरे भी आपको अपना समझेंगे।

हमारे व्यक्तित्व को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली एक और जो बात है वह यह है कि हमें अपनी जुबान का पक्का होना चाहिए। अक्सर देखा गया है कि लोग छोटी छोटी बात पर बड़े-बड़े वादे कर देते हैं, परंतु जब निभाने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं ।ऐसे व्यक्ति समाज में अपनी एक अलग पहचान नहीं बना पाते ,लोगों को उनके व्यक्तित्व पर संदेह होने लगता है और लोग उनसे कन्नी काटना शुरू कर देते हैं ।इसलिए अपने आप को ऐसा बनाएं कि यदि आपने किसी से कुछ करने का वादा किया है तो आपको प्रयत्न करना चाहिए कि आप उनकी उम्मीदों पर खरा उतरें।वैसे तो आज तक कोई किसी की आशाओं और उम्मीदों पर पूरा खरा नहीं उतर पाया है, परंतु हमें ऐसा करने के लिए प्रयासरत अवश्य रहना चाहिए।

कहा भी तो गया है ना कि-

यहां हर शख्स है झूठा, हर बात पर धोखा है
परंतु आप तो अच्छे बनें, आपको किसने रोका है

यदि आप अपने प्रयत्नों और कोशिशों में ईमानदार हैं तो जरूरी नहीं कि आपको हर कार्य में सफलता मिले किंतु आपको कम स कम यह मलाल तो नहीं रहता है कि आपने अपनी तरफ से एक ईमानदार कोशिश तक नहीं की। जुबान के पक्के लोगों की समाज में एक अलग ख़ास पहचान बन जाती है।यह हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं और अनुभव भी करते हैं और जब समाज में आपकी एक अलग पहचान बन जाती है तो निसंदेह आपके व्यक्तित्व को भी लोग सराहेंगे और आपसे प्रभावित होंगे।

यहां यह बात बता देने वाली है कि आप सदैव अपने ज्ञान को अपडेट करते रहें और अपने ज्ञान के आधार पर ही दूसरों के सामने अपनी बात पूरे आत्मविश्वास के साथ रखें ।जिन बातों की जानकारी आपको ना हो ,उन बातों में चुप लगा जाना ही समझदारी कहलाएगी क्योंकि यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि सभी लोगों को सभी विषयों के बारे में पूरी पूरी जानकारी हो।

वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति की आंतरिक सुंदरता ही महत्व रखती है फिर भी आंतरिक सुंदरता और खूबसूरती के साथ-साथ यदि बाहरी खूबसूरती भी देखने को मिलती है तो यह सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा। ऐसे में हमारी छवि निखर कर बाहर आती है ।यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि कभी भी हमारी बाहरी सुंदरता हमारी आंतरिक सुंदरता पर हावी ना होने पाए इस बात का हमें खासा ख्याल रखना चाहिए।अपनी बाहरी खूबसूरती को दुगना करने के लिए हमें अपनी आंतरिक खूबसूरती और अपने व्यवहार को पहले से बेहतर बनाना चाहिए और लोगों के दिलों पर राज करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए आंतरिक और बाहरी खूबसूरती दोनों का होना ही आवश्यक है ।आंतरिक खूबसूरती तो आप अपने विशेष गुणों और व्यवहार से बढ़ा सकते हैं, परंतु बाहरी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए भी आप अनेक प्रकार के उपाय अपना सकते हैं ,जैसे सन टैनिंग से अपने आप को बचाने के लिए धूप में निकलते समय सनस्क्रीन का प्रयोग करें और छाता लेकर ही घर से निकलें, समय-समय पर अपने शरीर को डिटॉक्स करें। जिस प्रकार शरीर के भीतर से टॉक्सिंस बाहर निकालने के लिए हम विभिन्न प्रकार के टॉनिक और दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं ,उसी प्रकार बाहरी सुंदरता पर लगे दाग धब्बों को दूर करने के लिए भी हमें विशेष प्रकार के उपाय अपनाने चाहिऐं, जिसमें घरेलू चीजों के उपयोग से फेशियल करना ,बॉडी मसाज करना इत्यादि शामिल हैं। इन सब के साथ-साथ अपने पहनने ओढ़ने का भी विशेष ध्यान रखें कोई भी ऐसा आउटफिट ना पहने जो आप पर ना फब रहे हों,अपितु कपड़ों का चुनाव करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए ।आपको जानने से पहले लोग आपको आपके वस्त्रों से जानते हैं, यह बात सदैव ध्यान रखें।

कहा जाता है कि यदि आपका तन स्वस्थ है तो आपका मन भी स्वस्थ हो जाता है ।इसी प्रकार यदि आपका मन खुश है तो उसका स्पष्ट प्रभाव आपके तन पर भी परिलक्षित होता है। अपने तन और मन दोनों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमें भिन्न प्रकार की गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। चुस्ती और फुर्ती को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम और एक्सरसाइज करनी चाहिए। मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए । माना कि आजकल सभी व्यस्त होते हैं ,किसी के पास इन सब चीजों के लिए पर्याप्त समय नहीं होता। परंतु समय की कमी का हवाला देकर हम अपने स्वास्थ्य और अपने आप के साथ समझौता नहीं कर सकते। हां इतना जरूर है कि हम इस प्रकार की समस्या का समाधान जरूर निकाल सकते हैं,यथा ,समय की कमी होने के कारण यदि आप बाहर कहीं जाकर इन सभी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते तो घर पर भी इनके लिए समय निकाल सकते हैं। आजकल तो ऑनलाइन योगा क्लासेस और ट्रेनिंग का प्रचलन भी बहुत अधिक बढ़ गया है  यदि आपको लगता है कि आप ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं तो आपको इस ऑप्शन को अपनाने के लिए ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं है।कहा जाता है कि

काल करे सो आज कर आज करे सो अब,

पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब

अर्थात आज का काम आज की सोच कल के लिए ना रखें। कल और भी अलग मौके और अवसर आएंगे तब उन पर सोचना होगा। आज के लिए आज ही सोचें और उसे आज ही अप्लाई भी करें।

और अब आती है सबसे महत्वपूर्ण बात अपने व्यक्तित्व को यदि आपको सौंदर्य प्रदान करना है तो आपको अपने नैतिक मूल्यों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए ।अपने चरित्र को इतना मजबूत बनाए रखें कि कोई भी शख्स आपके बारे में कोई अनुचित बात कहकर ऐसे ही ना निकल पाए। आपको कुछ हल्का कहने से पहले कोई भी इंसान 10 बार सोचे और इस सब की जिम्मेदारी आप पर ही है। आप अपने आप को ऐसा बनाएं कि आप की छवि को कोई चाहते हुए भी ना बिगाड़ पाए। मजबूत चरित्र से मेरा अभिप्राय अपने में सद्गुणों का विकास करने और अपने पर नियंत्रण रखने से है। प्रकृति की सभी वस्तुओं में खूबसूरती देखने का प्रयास करें,उसे सराहें, परंतु उस खूबसूरती पर ग्रहण लगाने से बचें।

अच्छे लोगों के साथ संबंध रखने और मिलने जुलने से भी हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है। अच्छे लोगों के गुणों से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है और वही अच्छाई हम जब अपने आप में लाना शुरू कर देते हैं तो हमारा व्यक्तित्व असीम सौंदर्य प्राप्त कर लेता है। अच्छा सोचें, अच्छा करें और अच्छे लोगों के सानिध्य में रहने का प्रयास करें।

अपने रिश्तों को समय देने से भी हमें अच्छा महसूस होता है,इसलिए अपने रिश्तों को भरपूर जिएं और पूरी इमानदारी से निभाएं। दूसरा क्या कहेगा या क्या सोचेगा इस सोच से बाहर निकलने का प्रयास करें।रिश्तों में चापलूसी ,चतुराई और धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होती, इसलिए इन चीजों से स्वयं को दूर रखें और पूरी शिद्दत से हर रिश्ते को आगे लेकर जाएं ,अपनों के साथ समय बिताएं ,उन्हें खुशियां देने का प्रयास करें। हां, यह सत्य है कि हम सभी को हर वक्त खुश नहीं रख सकते किंतु जितना हमारे बस में है हमें उतना अवश्य करना चाहिए।कहा जाता है कि दूसरों को खुशियां देने से असीम संतोष प्राप्त होता है जिससे हम तनाव मुक्त होते हैं और तनाव मुक्त होने की स्थिति में हमारे व्यक्तित्व में अपने आप ही ताजगी का संचार होने लगता है।

आत्म संतुष्टि का होना भी हमारे व्यक्तित्व को कई गुना निखार देता है ।अपने सभी कर्मों से सबसे पहले हमें संतुष्ट होना चाहिए  यदि किसी कारणवश हमसे ऐसा कुछ हो गया है जो किन्हीं कारणों से अवांछित माना जाता है तो उस पर जीवन भर पछताने से बेहतर है कि अपनी उस कमी पर आप कार्य करें और भविष्य में ऐसा कुछ ना दोहराया जाए इस बात का ध्यान भी रखें। आत्म संतुष्टि प्राप्त करने का प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग-अलग मापदंड होता है ।किसी व्यक्ति को दूसरों को मदद करके खुशी मिलती है, वहीं दूसरी ओर किसी अन्य व्यक्ति को अपने छोटे से छोटे शौक को पूरा करने से ;किसी एक को बागवानी से संतुष्टि मिलती है तो किसी दूसरे को घर के बाहर आउटिंग या शॉपिंग पर जाकर ।तो यह पूरी तरह सिर्फ़ आप पर निर्भर करता है कि आपको अपने दिल को किस प्रकार संभालना है, उसे किस प्रकार खुश रखना है ।इसकी पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ आपकी है। जाहिर सी बात है जिंदगी आपकी है तो अपने प्रति सभी जिम्मेदारियां भी आपको ही निभानी होंगी।

(लेखिका दिल्ली में अध्यापिका के पद पर हैं…..)

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