बुलंद इरादे
अपनत्व के दावे
चांद तारे तोड़ लाने
और जान की बाजी
लगाने के वादे
बहारों में मन को
है बहलाते
लेकिन पतझड़ में
अलग होने लगते है
साथ देने वाले
बन जाते है बेगाने
फिर बेरुखी की बातें
दूर हो जाती है गलतफहमी
खुल जाती है आंखें
ना जाने कहाँ गुम
हो जाते है बुलंद इरादे।।
Tags buland iraade Lofty intentions डॉ. दिलीप अग्निहोत्री बुलंद इरादे
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