मुझको कल कुछ किसानों मित्रों ने फोन किया था। उनमें ज्यादातर किसानों का कहना था कि सरकारी धान क्रय केन्द्र बेमानी हैं। सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई मतलब ही नहीं है। घर से लेकर बाजार तक आढ़तिया 10-12 किलो धान खरीद रहे हैं। माम किसान अपना खर्च चलाने ...
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