मुझको कल कुछ किसानों मित्रों ने फोन किया था। उनमें ज्यादातर किसानों का कहना था कि सरकारी धान क्रय केन्द्र बेमानी हैं। सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई मतलब ही नहीं है। घर से लेकर बाजार तक आढ़तिया 10-12 किलो धान खरीद रहे हैं। माम किसान अपना खर्च चलाने के लिए मिट्टी से भी सस्ते रेट में अपना धान बेच रहे हैं। अनेकानेक गरीब किसान बीस रुपए किलो लागत वाला धान 10 रुपए में मजबूरन बेच चुके हैं। किसानों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। किसान पिछले 50 वर्ष से मांग कर रहे हैं कि उनकी पैदावार लागत से डेढ़ गुने दाम पर बिकनी चाहिए। परन्तु, किसानों की उपज लागत के बराबर भी नहीं बिकती है।
बख़्शी का तालाब क्षेत्र ग्राम बिंधौरा के किसान धीरज पांडेय का कहना था कि किसान लगातार कर्जदार हो रहे हैं। किसानों को मजबूरन अपनी जमीन बेचनी पड़ रही है। किसानों को एक जमाने से उपज का सही रेट नहीं मिल पा रहा है। फलस्वरूप, हज़ारों छोटे किसान खेती छोड़कर मजदूरी करने लगे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि कर्ज से डूबे अनेक किसान पूर्व में अपने प्राणों की आहुति भी दे चुके हैं।
कठवारा के किसान रामचन्द्र सिंह व रामपुर देवरई के किसान जगदीश सिंह चौहान ने साफ कहा कि सरकार किसान सम्मान निधि, सशर्त कर्ज माफी का लॉलीपॉप देना बंद कर दे। इसके बजाय किसान को सस्ती बिजली व डीजल दे। साथ ही, किसान को उसकी उपज का अपेक्षित मूल्य दे। हैदरगढ़ क्षेत्र के ग्राम नरौली के किसान राम बहादुर मिश्र व जोन्धी के किसान माता पलटन सिंह का कहना था कि साल भर में दो-चार हजार की किसान सम्मान निधि, कभी-कभार शर्तों के साथ की जाने वाली कर्ज माफी व न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की रस्म अदायगी से किसानों का भला कभी नहीं होगा। यदि सरकार अन्नदाता को न्याय देना ही चाहती है। उन्हें सम्मान देना चाहती है। छोटे किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना चाहती है तो सरकार उसकी पैदावार लागत से डेढ़ गुने दाम पर खरीद लिया करे।
बिसवां क्षेत्र के ग्राम गनेशपुर के किसान पप्पल सिंह मुखिया का कहना है कि सरकार किसानों को बिचवलियों से मुक्त कराए। सरकारी क्रय केंद्रों को सक्रिय करे। सरकारी खरीद सिर्फ और सिर्फ वास्तविक किसान से की जाए। धान व गेंहू की सरकारी खरीद में अधिकारियों-आढ़तियों की मिलीभगत पर अंकुश लगाया जाए।
निगोहा इलाके के ग्राम डिघारी के किसान जय बख़्श सिंह कहते हैं कि सरकार किसानों की पैदावार का अपेक्षित मूल्य दिलाए। साथ ही, सरकार किसान को उचित समय एवं दाम पर उन्नत बीज, यूरिया डीएपी उर्वरक व गुणवत्तापूर्ण कीटनाशक उपलब्ध कराए। सरकार खेतों की सस्ती सिंचाई और फल-सब्जी के पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था करे। तभी किसान खुशहाल होंगे।
कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है कि किसान इस वक्त सरकार से काफी नाराज है। छोटे किसानों को आढ़तियों के हाथ औने-पौने दाम पर धान बेचना पड़ रहा है। बड़े किसान भी अपने धान को लेकर परेशान हैं। क्योंकि, सरकारी धान क्रय केंद्र बेमानी हैं। स्थानीय बाजार में धान का कोई मूल्य ही नहीं है। सरकार को धान खरीद पर ध्यान देना चाहिए।