Shripal की कविता जीवन की पेचीदगियों में, कहीं हम खो न जायें ! है बहुत कुछ जानने को इस जहां में, बस सीखने की कसक, कम न हो जाए इस नयनों को तो बहुत चाह है तेरे पुष्प दर्शन की, पर राह में पड़े काँटों को, हम भूल न जाए! ...
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