क्या लड़की होना पाप है? कोई गुनाह है? आखिर क्यों लड़की को यह बार-बार एहसास दिलाया जाता है कि वह एक लड़की है? लड़कियों को बचपन से ही इस तरह से ढाला जाता है कि वह सिर्फ घर के कामों के लिए ही बनी है. बाहर की दुनिया से उनका ...
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माहवारी पर संकुचित सोच से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज
हम भले ही आधुनिक समाज की बात करते हैं, नई नई तकनीकों के आविष्कार की बातें करते हैं, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं के प्रति आज भी समाज का नजरिया बहुत ही संकुचित है. बराबरी का अधिकार देने की बात तो दूर, उसे अपनी आवाज उठाने ...
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