आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर चिंतन मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे पर कुछ मॉस्क और सेनिटाइजर की शीशी रखी थीं। एक कोने पर बाल्टी में पानी, मग व साबुनदानी भी रखी थी। चबूतरे के आसपास कुछ दूरी पर प्लास्टिक कुर्सियाँ पड़ी थीं। मेरे पहुंचते ही वह बोले- पूरे ...
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