ताइवान Taiwan में हजारों आजादी समर्थक शनिवार को सड़कों पर उतर आए। चीन द्वारा इस द्वीप पर लगातार दबाव बढ़ाए जाने और राष्ट्रपति त्साई-इंग-वेन द्वारा बीजिंग और आजादी समर्थक गुटों को खुश रखने के प्रयासों के बीच यह विरोध प्रदर्शन ताइपे में हुआ।
पिछले 20 साल में Taiwan में
पिछले 20 साल में Taiwan ताइवान में आजादी के समर्थन में यह सबसे बड़ा विरोध-प्रदर्शन बताया जा रहा है। उधर, राष्ट्रपति ने रैली के बाद चीन के साथ संबंधों पर यथास्थिति कायम रखने की बात कही है।
फार्मोसा अलायंस के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारी आजादी के लिए जनमत संग्रह कराने और चीन द्वारा जबरदस्ती कब्जे के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
बता दें कि फार्मोसा अलायंस को आजादी समर्थक ताइवान के दो पूर्व राष्ट्रपतियों ली-थेंग-हुई और चेन-सुई-बियान का समर्थन प्राप्त है। आयोजकों ने रैली में लगभग 80 हजार लोगों के शिरकत करने की बात कही है। इस संबंध में पुलिस की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
दरअसल, 1949 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद भी ताइवान को चीन एक प्रांत के तौर पर देखता है। ताइवान एक स्वतंत्र राष्ट्र होने के साथ ही उसकी अपनी मुद्रा, राजनीतिक और न्यायिक व्यवस्था है,
लेकिन उसे औपचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त नहीं है। खास बात यह है कि चीन ने ताइवान को औपचारिक स्वतंत्रता की घोषणा के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चुनौती दे रखी थी।
सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य नहीं हुए शामिल आजादी को लेकर हो रहे आंदोलन में सत्तारूढ़ डीपीपी का रवैया भी देखने लायक है।वैसे तो उसे आजादी समर्थक माना जाता है, लेकिन पार्टी ने रैली में अपने पदाधिकारियों और नेताओं को भाग लेने की अनुमति नहीं दी थी। खास बात यह है कि आजादी समर्थक अपने सदस्यों की भावनाओं का खयाल रखते हुए डीपीपी ने भी चीन के कब्जे के खिलाफ रैली आयोजित की थी।