Breaking News

Quit India Movement की 10 ख़ास बातें

8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सत्र में मोहनदास करमचंद गांधी ने ( Quit India Movement ), ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया। दूसरे दिन 9 अगस्त को एक नेता की आवाज पर एक लाख लोग जेलचले गए थे।

 Quit India Movement : डू या डाई की मांग

मोहनदास करमचंद गांधी ने 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सत्र में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था। इसमें गांधी जी ने ‘डू या डाई’ की मांग की। गांधी जी ने यह आंदोलन अहिंसक रूप से शुरू किया था। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों से भी इस बड़े जनांदोलन के समर्थक अरेस्ट किए गए थे। इस बीच पंजाब के लाहौर और अमृतसर में बड़ी सभाएं की गर्इ थीं। यह महात्मा गांधी का ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन बनता दिखाई दिया था।

कई कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी हुर्इ थी

ब्रिटेन की एक आेपेन यूनिवर्सिटी की एक आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दूसरे दिन 9 अगस्त को ब्रिटिश सरकार ने गांधी, नेहरू और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था।

सड़कों पर लाखों की संख्या में निकले लोग

यह एेतिहासिक क्षण था जब एक नेता की आवाज पर इस आंदोलन में लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर निकल पड़े थे। गांधी और कांग्रेस नेताओं समेत करीब एक लाख लोगों के जेल भेजे जाने के बाद भारत में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए।

प्रदर्शन रोकने के किए गए प्रयास

इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुर्इ थी आैर लोग घायल हुए थे। अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर हो रहे इस प्रदर्शन को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए थे। एक लाख से अधिक लोगों को कैद करने के साथ ही कर्इ जगहों पर हमले किए थे।

सरकार ने किया था अलर्ट जारी

देश के कर्इ बड़े शहरों में ब्रिटिश सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया था। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों से भी इस बड़े जनांदोलन के समर्थक अरेस्ट किए गए थे। इस बीच पंजाब के लाहौर और अमृतसर में बड़ी सभाएं की गर्इ थीं।

सार्वजनिक बैठकों को किया था प्रतिबंधित

कार्यकारी समिति, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और चार प्रांतीय कांग्रेस समितियों को 1908 के आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया था। सार्वजनिक बैठकों को भी प्रतिबंधित कर दिया था।

यह आंदोलन भारतीयों की एकजुटता को दर्शाता

इस आंदोलन की खासियत यह है कि ये ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय लोगों की एकजुटता को दर्शाता है। अंग्रेजों के लाख प्रयासों के बाद भी गांधी जी की रिहाई के लिए लोगों का प्रतिरोध जारी रहा और 21 दिन के उपवास पर चले गए।

दुनिया के सामने एक बड़ी नाजीर पेश की

हकीकत में इस भारत छोड़ो आंदोलन ने दुनिया के सामने एक नाजीर पेश कर दी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, दुनिया में ब्रिटेन की जगह नाटकीय रूप से बदल गई थी और आजादी की मांग को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता था।

महात्मा गांधी : तीसरा सबसे बड़ा फैसला

क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी का ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का तीसरा बड़ा फैसला था। कहते हैं कि यह भारत छोड़ो का नारा भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेता युसुफ मेहर अली ने दिया था।

भारत छोड़ो : एक बड़ा संकल्प

भारत छोड़ो एक बड़े संकल्प के रूप में जाना जाता है। यह भारत को तुरन्त अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया गया था। गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ शुरू हुआ था।

About Samar Saleel

Check Also

Lucknow University: 24 छात्रों को मिला कैंपस प्लेसमेंट

Lucknow। लखनऊ विश्वविद्यालय के केंद्रीय प्लेसमेंट सेल (Central Placement Cell) द्वारा आयोजित प्लेसमेंट ड्राइव (Placement ...