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नगर मजिस्ट्रेट का आदेश भी नही मान रहा प्रशासन, करीब डेढ़ वर्ष से पीड़ित के मकान के दरवाज़े पर लटक रहा ताला

इस सम्बंध में सिटी मजिस्ट्रेट पल्ल्वी मिश्रा ने बताया की पीड़ित का प्रार्थना-पत्र आया है उसी पर पुलिस को निर्देशित कर दिया जायेगा।

रायबरेली। करीब डेढ़ वर्ष से एक मकान में पूर्व नगर मजिस्ट्रेट ने ताला लगा दिया था। इस के विरोध में जब पीड़ित ने न्यायालय में जाकर अपनी गुहार लगाई और उसकी पीड़ा देखते हुए हाईकोर्ट ने पूर्व सिटी मजिस्ट्रेट के कुर्क व तालाबन्दी के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही, उसे पूर्व स्थिति को बहाल करने के निर्देश दिए गए। उसके बावजूद भी, स्थानीय प्रशासन अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सका।

करीब डेढ़ वर्ष से पीड़ित के मकान के दरवाज़े पर लटक रहा ताला

हलांकि, बीती 12 अप्रैल को नगर मजिस्ट्रेट ने भी यह साफ कर दिया था की पिछली सारी कार्यवाही निरस्त की जा रही है। इसके साथ ही वह तालाबंदी भी हर जानी चाहिए थी । लेकिन वह नहीं हटी इस संबंध में सुपर मार्केट चौकी इंचार्ज संजय शर्मा बार-बार पीड़ित को ही समझाते रहे कि उनके लिए कोई स्पष्ट आदेश नहीं किया गया। जबकि, नगर मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में साफ किया 28 नवंबर के पूर्व की स्थित को बहाल कर दिया जाए क्योंकि 28 नवंबर 2020 में इस मकान में इस मकान को पूर्व में कुर्क कर सीज कर दिया था।

प्रशासन ने इसमें अपना ताला लगा दिया था। इस पर पीड़ित प्राण नाथ त्रिपाठी ने न्यायालय का सहारा लिया और वहां से आदेश के बाद नगर मजिस्ट्रेट ने भी उनके हक में आदेश जारी कर दिया । इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

क्या था मामला?

गौरतलब हो कि प्राणनाथ त्रिपाठी के परिवार के नरेंद्र नाथ त्रिपाठी एवं स्नेहलता त्रिपाठी ने गुरमीत बाबा पुत्र श्रवण कुमार वह रामेंन्द्र सिंह के साथ एग्रीमेंट करके आवास के कुछ भाग व गैलरी तथा दुकान के विक्रय का निबंध किय, जिसकी वैधता तीन माह थी। यह शर्त थी की विक्रय पत्र लिखने के बाद कब्जा दिया जाएगा। उसके बावजूद विपक्षियों ने साठगांठ करके तत्कालीन मजिस्ट्रेट से उक्त आवास के चैनल और दुकान में कब्जा न देने पर कार्रवाई कराते हुए ताला लगावाकर कुर्क की कार्रवाई करवा दी।

इस पर इस पर इस आदेश को चुनौती देते हुए पीड़ित न्यायालय गया। जिसे बीती 22 नवंबर अक्टूबर 2021 को 28 नवंबर 2020 के तालाबंदी व कुर्क के आदेश को निरस्त कर दिया गया। इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित उच्च न्यायालय गया । जहां से 6 सप्ताह में मामले पर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए। इस मामले में बीती 12 अप्रैल को भी सिटी मजिस्ट्रेट पल्लवी मिश्रा ने बीती 28 नवंबर 2020 के पूर्व की स्थिति को बहाल करने का आदेश दिया फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बोले जिम्मेदार?

इस सम्बंध में सिटी मजिस्ट्रेट पल्ल्वी मिश्रा ने बताया की पीड़ित का प्रार्थना-पत्र आया है उसी पर पुलिस को निर्देशित कर दिया जायेगा।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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