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मंदिर निर्माण एक मुद्दा था

बड़े हर्ष की बात है, कि पांच सौ वर्ष से चल रहे श्री राम मंदिर निर्माण का मुद्दा आज सदा-सदा के लिए खत्म हो जाएगा. बीते कुछ वर्षों से चुनावी पार्टियां अधिकतर इसी मुद्दे का सहारा लेकर चुनाव जीतने में सक्षम हुई है,जनता को यह आश्वासन देकर कि इस दफा राम मंदिर का निर्माण अवश्य होगा. परंतु आज तक नहीं हुआ,यदि सरकारें चाहती तो निर्माण हो जाता,परंतु चाहती ही क्यों? राम मंदिर का निर्माण उनका मुद्दा था जो.मंदिर निर्माण के पीछे यदि कोई विचारक विचार करें,कि किसी एक शख्स का हाथ है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है,सवा सौ करोड़ की जनता जब एक साथ होकर मंदिर निर्माण हेतु अपने विचार व्यक्त की,तब या शुभ अवसर आने का उचित अवसर प्राप्त हुआ है.मैं उन तमाम महान पुरुषों की कृतज्ञता व्यक्त करता हूं!

जिन्होंने राम मंदिर निर्माण हेतु अपना सर्वत्र न्योछावर करने में तनिक भी अपने कदम पीछे नहीं हटाए. दुनिया को महलों में रखने वाले राम स्वयं पांच सौ वर्ष टेंट में ठिकाना बनाए रहे,अखिल विश्व को यह संदेश देने के खातिर कि, यदि स्वयं ईश्वर को ही इस धरा पर आकर इतनी विषमताओं का सामना करना पड़ा तो हम सब तो जीव हैं.हमें इससे भी ज्यादा विषमताओं से मुकाबला करना पड़े, तो बिना पीछे हटे डटकर मुकाबला करें.

श्रीराम का इतने वर्षों से टेंट में रहना इस बात का भी सुचक है कि:-धैर्यवान बनिए. यदि आप विवेकशील और धैर्यवान हैं,तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको झुका नहीं सकती, ऐसा ही कुछ संदेश मुझे टेंट में रखी राम की मूरत से ज्ञात होता है.जनता को जाति धर्म के नाम पर लड़ाने वाले लोगों उर्दू का एक मशहूर कवि”शम्सी मीनाई”राम पर कविता लिखता है:-

मैं राम पर लिखूं,
मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने वाल्मीकि ने,
छोड़ा नहीं है कुछ!

और हिंदी के मशहूर कवि “बालकवि बैरागी” जी का कथन है की:-“यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है, तब एक अकेला जुगनू ही सब अंधकार हर लेता है”! इन्हीं तमाम विचारों के साथ हम सभी देशवासियों को राम जन्म भूमि की पूजन की बधाई देता हूं! जय श्री राम!

सुधांशु पांडे “निराला”

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