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अदालत ने प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, पीड़िताओं के नाम लेने से किया मना

बंगलूरू:  कर्नाटक हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे जनता दल (एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पहले मामले में रेवन्ना के आवेदन पर और शिकायतों से संबंधित दो अग्रिम जमानत पर दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान अदालत ने वकीलों से पीड़िताओं के नाम का जिक्र करने से मना किया। रेवन्ना की ओर से वरिष्ठ वकील प्रभुलिंग के नवदगी पेश हुए। वकील नवदगी ने कहा कि आरोप मुख्य रूप से रेवन्ना के पिता पर लगे हैं। इसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि पीड़िता ने परिवार के लिए चार वर्षों तक काम किया। उन्होंने चार वर्षों तक मामला दर्ज दर्ज न करने पर चिंता जताई।

वकील नवदगी ने कहा कि महिला ने दावा किया कि जब उसके पति ने उसे एक वीडियो के बारे में बताया, तब उसे आवाज उठाने की हिम्मत मिली। उसने पहले आईपीसी की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया। उन्होंने आगे कहा, “फॉरेसिक रिपोर्ट ने भी वीडियो को रेवन्ना से नहीं जोड़ा।” उन्होंने इस बात से इनकार किया कि रेवन्ना के फोन पर कोई आपत्तिजनक वीडियो पाया गया था।

अदालत ने फॉरेंसिक रिपोर्टों के निष्कर्षों पर सवाल उठाया। विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने बताया कि याचिकाकर्ता की धमकियों और पीड़ितों को चुप कराने के प्रयासों के कारण शिकायत दर्ज कराने में देरी उचित थी।

क्या था मामला?
बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं। उन पर कई महिलाओं से यौन शोषण का आरोप है। प्रज्ज्वल हासन लोकसभा सीट के सांसद थे। उन्होंने इस साल हासन से एनडीए उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले सोशल मीडिया पर कई अश्लील वीडियो वायरल हुए थे। हासन में मतदान के ठीक एक दिन बाद, 27 अप्रैल को प्रप्रज्वल जर्मनी चले गए थे।

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