गौतमबुद्ध नगर। जयंत चौधरी मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर के भट्टा पारसौल में किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। 104 दिन से चल रहे किसान आंदोलन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश के किसानों की भावना एक साथ है। वहीं सरकार इस आंदोलन को तोड़ने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है, पर किसानों की एकता के सामने वो बेबस हैं। पंचायत में स्वत आ रही भीड़ इस बात का संदेश है कि किसानों में इन तीनों कानून को लेकर कितना रोष हैं।
भट्टा पारसोल के 10 साल पहले के आंदोलन को याद करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि अंग्रेजों ने 1894 में कानून बनाए थे, जो आजादी के बाद भी चलते रहे उन कानूनों को खत्म कराने में 10 साल पहले भट्टा पारसोल से जो आंदोलन शुरू हुआ था उसने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए जो बात चौधरी चरण सिंह कहते थे कि एक आँख अपने खेत में तो दूसरी दिल्ली पर रखो। आज वही समय हमें अपनी खेती पर भी ध्यान देना है और सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर भी।
जयंत चौधरी ने तीन कृषि कानून पर बोलते हुए कहा कि अगर ये कानून लागू हो गए तो किसानों को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पायेगा। नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि वे कहते हैं कि हमने किसानों के खाते में सीधे 2000 रूपये भेजे हैं। पर ये नहीं बताते कि महंगाई कहाँ पहुँच गई है, डीजल, डीएपी, रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। यूरिया के एक बोरे में पांच किलो वजन कम कर दिया गया, MSP नहीं मिल रही है। पंचायत से पूछते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि क्या किसी का गेहूं, बाजरा, धान MSP पर बिक रहा है? पंचायत में आए सभी लोगों ने हाथ उठाते हुए एक आवाज़ में कहा नहीं।
तीन कृषि कानून पर आगे बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि सरकार फर्जी बातें फैलाने में लगी हुई हैं। सरकार किसानों को बांट रही है। सरकार कह रही है इस कानून से छोटे किसानों को फायदा होगा। पर मैं पूछता हूँ कि बिहार में 2006 में मंडी व्यवस्था को खत्म किया गया था वहाँ आज क्या स्थिती हैं? क्या आज बिहार का छोटा किसान खुशहाल है? हम सब देखते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में, पंजाब में, हरियाणा में बिहार के बहुत सारे लोग मजदूरी करने के लिए आते हैं। अगर मंडी व्यवस्था खत्म होने से बिहार के किसानों में खुशहाली आती तो ये लोग इन क्षेत्रों में आकर मजदूरी करने के लिए मजबूर न होते। ये सरकार बिहार की व्यवस्था को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं।
जयंत चौधरी निजी क्षेत्र की भागीदारी पर बात करते हुए कहते हैं कि मैं निजी क्षेत्र की भागीदारी का विरोधी नहीं हूँ। मैं तो चाहता हूँ कि निजी क्षेत्र के लोग भी किसान से उसकी फसल ख़रीदे पर जिस तरीके से ये कानून बनाए गए इन कानूनों में किसान का कोई फायदा नहीं दिखता है। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि बिना किसी विचार विमर्श के मोदी जी ने लॉकडाउन लगा दिया। जिसके बाद छोटे व्यापारी, मजदूर, नौकरीपेशा लोग बर्बाद हो गए। पर इसी समय बड़े लोगों को फायदा हुआ। रिलायंस ने हर घंटे 90 करोड़ की कमाई की। ये नए कानून भी इन्हीं बड़े लोगों को और ज्यादा ताकतवर बनाएंगे। मैं फिर कहता हूँ अगर सरकार अपना हस्ताक्षेप किसान और प्राइवेट कंपनी के बीच से हटा लेगी तो फिर ये प्राइवेट कंपनियां मनमानी करेगी।
उन्होंने गन्ना की फसल का उदाहरण देते हुए कहा कि गन्ना भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का एक उदाहरण है पर यहाँ रेट सरकार तय करती जिसके कारण किसान को एक निश्चित भाव मिलता है। पर नए कानून में सरकार इस तरीके का कोई भी रोल निभाती हुई नहीं दिख रही। जबकि यही सरकार 2018 में कह रही थी कि हमने 18 करोड़ फर्जी पेनकार्ड पकड़े हैं। तो जब पेन कार्ड फर्जी बन सकते हैं तो उस पैन कार्ड के आधार पर किसी व्यापारी को कैसे किसी भी किसान से फसल खरीदने का लाइसेंस दिया जा सकता है? जयंत चौधरी ने कहा कि 250 से ज्यादा किसानों ने इस आंदोलन में अपनी शहादत दी है। वक्त आ गया है कि बीजेपी के नेताओं से पूछिए उनके लोगों से पूछिए कि अगर रीढ़ की हड्डी है तो स्वार्थ को छोड़कर किसानों का साथ दीजिए।
नौजवानों की बात करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि झूठे आंकड़े देने में, फर्जी बातें कहने में यह सरकार माहिर है। उत्तर प्रदेश की कोई भी भर्ती ऐसी नहीं है जो समय पर पूरी हो रही हो। 2018 में आयी यूपी पुलिस की भर्ती आज तक पूरी नहीं हो पाई है। वहीं यूपी सरकार के वन डिस्ट्रिक वन प्रॉडक्ट की योजना का उपहास उड़ाते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बस एक ही योजना सफलतापूर्वक चल रही है और वो है वन डिस्ट्रिक्ट वन क्राइम योजना। राष्ट्रीय लोकदल के बारे में बात करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि आज राष्ट्रीय लोकदल का एक एक कार्यकर्ता किसानों के साथ खड़ा है और वह किसानों के साथ इस लिए खड़ा है क्योंकि यही उसका धर्म है।