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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…..हिन्दू समाज को यह सोचना चाहिए कि भारत के सभी मुसलमान ना तो आतंकवादी हैं और ना ही गोकशी करने वाले हैं।

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- मन्दिर-महजिद अउ हिन्दू-मुस्लिम केरे विवाद म देस कब तलक उलझा रही? या बाति बिल्कुल साँच आय कि याक जमाने मा हजारन मन्दिर तूरेगे रहयं। सब ते प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का नष्ट कीन गवा रहय। तमाम शहरन केर नाव बदलेगे रहयं। मुस्लिम लुटेरे गति-विधिके भारत का लुटिन रहय। मुगलन केरे सासन काल मा हिन्दुअन का जबरन मुसलमान बनावा गा रहय।

भारत केरी सनातन संस्कृति का नष्ट-विष्ट कीन गवा रहय। मुदा, अब यहिका लैके हर जगह रार ठीक नाइ हय। धार्मिक कट्टरता ते देस क्यारु विनासय होई। हम सब जने का भरतय म रहय क हय। सबका अपने देस का अखण्ड राखय का हय। भारत का मिलि-जुलिके आगे बढ़ावे का हय। इ बात का हिन्दू अउ मुस्लिम दुनव का सोचय का चही। सब जने शांति धरव। बिना मतलब केरी भड़काऊ बयानबाजी ते बचव। अजोध्या क तिना काशी अउ मथुरव केर विवाद न्यायालय म निबट जाइ।

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर थोड़ा अनमने से बैठे थे। कासिम चचा व मुंशीजी चबूतरे की फुलवारी देख रहे थे। पुरई पेड़-पौधों को पानी दे रहे थे। आज सुबह ही चटक धूप निकली थी। परन्तु, पुरवाई चलने से गर्मी कम लग रही थी। गांव के बच्चे मैदान में कबड्डी खेल रहे थे। मैं चबूतरे पर पहुंचकर सबसे हालचाल ले रहा था।

तभी ककुवा व बड़के दद्दा की जोड़ी भी चबूतरे पर पधार गई। प्रपंच चबूतरे का कोरम पूरा होते ही चतुरी चाचा ने पंचायत शुरू कर दी। वह आज कानपुर के हिन्दू-मुस्लिम बलवे से बड़े दुःखी थे। उनका कहना था कि मुगल काल में बड़ी अंधेरगर्दी हुई थी। मुगलों ने भारत की सनातन संस्कृति, धर्म, आस्था को बड़ी क्षति पहुंचाई थी। प्राचीन शहरों और सड़कों के नाम बदल दिए थे। हजारों मन्दिरों को तोड़कर मस्ज़िद बनवाई थी। विश्वविद्यालय, महाविद्यालय नष्ट कर दिए थे। लाखों हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बना दिया था।

इन सारी बातों से दुनिया परिचित है। परन्तु, अब इन सब बातों को लेकर हिन्दू और मुस्लिम का आपस में झगड़ना ठीक नहीं है। पूरे देश में जगह-जगह मन्दिर-मस्जिद का विवाद पैदा करना उचित नहीं है। अयोध्या की तरह काशी और मथुरा का भी विवाद न्यायालय में हल हो जाएगा। हम सबको थोड़ा सब्र से काम करना चाहिए। हमें कट्टरपंथियों से दूर रहकर देश के विकास के बारे में सोचना चाहिए।

इस पर ककुवा बोले- चतुरी भइय्या, तुम बात तौ सोरह आना सच्ची कहेव। मुला, याक बाति हमहूँ कहब। इतिहास म जौनि गलती भई हयँ। वहुक बारे म मुस्लिम समाज का सोचय का चही। उई गलतिन का ठीक कीन जाय रहा हय। इमा मुसलमानन का सहयोग करय चही। विवादित पूजा स्थलन पय नमाज पढ़य क जिद छोड़य चही। दूसरे थोरी-थोरी बातन प पत्थरबाजी अउ आगजनी करय वाली आदत बदलय चही।

मुसलमानन का दंगा-फसाद, आतंकवाद अउ गौकशी ते दूर रहय का चही। मुल्ला-मौलवी हर चीज का अपने दीन ते जोर देत हयँ। अरे भाई! सबकी तिना तुमहुँ नीके कमाव-खाव। सब जने अमन-चैन ते रहव। भारत का अपन देस अउ हिंदुन का अपन भाई मानव। सगरी दुनिया म सब ते जादा मौज भारत मा हय। हिंया इस्लाम का कौनिव चीज ते खतरा नाइ हय। सब जने हिंयय पैदा भे हौ। याक दिन हिंयय दफन होय जइहौ। धरम का लैके आपस म टंटा-बखेरा न करव। खुद शांति ते जिओ अउ दुसरेन का जियय देव। इ देस का आगे बढ़य देव। आखिर तुम पंच नैयक़ी पीढ़िक का दीन चाहत हौ?

इसी बीच चंदू बिटिया जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में बेल का शरबत था। हम सब प्रपंचियों ने बेल का स्वादिष्ट ठंडा शरबत पीया।उसके बाद फिर एक बार फिर प्रपंच शुरू हो गया।

कासिम चाचा ने प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए कहा- आज की तारीख में सबसे बड़ी समस्या यह है कि देश के सभी मुसलमानों को शक की दृष्टि से देखा जा रहा है। हिन्दू समाज को यह सोचना चाहिए कि भारत के सभी मुसलमान ना तो आतंकवादी हैं और ना ही गोकशी करने वाले हैं। साथ ही, यह भी सोचना चाहिए कि भारत में मुसलमानों की जो मौजूदा पीढ़ी आज जी रही है। उसका सैकड़ों साल पहले हुए अनैतिक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं है। यह पीढ़ी उस अपराध के लिए दोषी नहीं हो सकती है। भारत के मुसलमान राष्ट्रभक्त हैं। वे भारत की मिट्टी के साथ दगाबाजी नहीं कर सकते हैं।

हमारे मुस्लिम धर्म में राष्ट्रभक्ति को सर्वोपरि माना गया है। हम भारत में पैदा हुए हैं। इस देश की हिफाजत करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। हमारे दीन में तो यहां तक कहा गया है कि यदि वजू के लिए पानी उपलब्ध ना हो तो अपने वतन की मिट्टी से वजू करके नमाज अता करें। इस बात से पता चलता है कि इस्लाम में देशभक्ति को कितना ऊंचा दर्जा दिया गया है। रही बात मंदिर-मस्जिद विवाद की तो उसे कोर्ट द्वारा हल किया जाना चाहिए।

मंदिर-मस्जिद को लेकर आपस में किसी प्रकार का विवाद, दंगा-फसाद नहीं होना चाहिए। अभी कानपुर में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई। इस घटना के पीछे भाजपा की एक महिला नेता का निंदनीय बयान है। उन्होंने बिना मतलब का विवाद पैदा किया। उनको मोहम्मद साहब पर किसी प्रकार का बयान देने से बचना चाहिए था।

इसी तरह मुस्लिम समाज के लोगों को इसका प्रतिरोध शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए था। इस देश में हिंदू-मुस्लिम सैकड़ों सालों से साथ रहता आया है। दोनों फिरके आगे सैकड़ों वर्षों तक साथ ही रहेंगे। इसलिए आपस में नफरत करना ठीक नहीं है।

बड़के दद्दा ने कहा- कासिम चचा, आपकी बात अपनी जगह पर ठीक है। लेकिन, मुस्लिम समाज को यह जरूर सोचना होगा कि आखिर हर आतंकी मुस्लिम ही क्यों है? गोकशी और गौ-तस्करी में आखिर मुसलमान ही क्यों है? जरा-जरा सी बात पर मुसलमान दंगा-फसाद, मारकाट पर क्यों उतारू हो जाते हैं? मुसलमान इस देश की कानून व्यवस्था और न्यायपालिका पर यकीन क्यों नहीं करते हैं? मुस्लिम समाज के लोग देश के दुश्मनों का साथ क्यों देते हैं? हर जगह अपनी धार्मिक कट्टरता क्यों प्रदर्शित करते हैं? आप लोगों को इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य खोजने होंगे।

मुंशीजी ने कहा- कानपुर की घटना की जितनी निंदा की जाए। वह कम ही होगी। शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के बाद मुस्लिम समाज की उग्र भीड़ ने कानून को अपने हाथ में ले लिया था। जबरन मार्केट बन्द कराने की कोशिश हुई। वहां जमकर पत्थरबाजी की गई। इसमें एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। जबकि देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व यूपी के मुख्यमंत्री उस वक्त कानपुर में ही थे। यह घटना पूर्व नियोजित लगती है। इस मामले में कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन की भारी चूक थी। बहरहाल, मुख्यमंत्री योगी महाराज ने इस घटना पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।

मैंने हमेशा की तरह प्रपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 53 करोड़ 47 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें 63 लाख 19 हजार लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। इसी तरह भारत में अबतक 4,31,71,872 से लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। देश में अबतक 5,24,651 लोग कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 194 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। देश के 89 करोड़ लोग कोरोना के दोनों टीके लगवा चुके हैं। भारत में व्यापक टीकाकरण होने से कोरोना महामारी नियंत्रण में है।

अंत में चतुरी चाचा ने रूस-यूक्रेन युध्द की चर्चा करते हुए कहा- बताव, युहु जुद्ध सौ दिन ते चलि रहा। मुदा, कौनव परिणाम नाइ निकरा। कोरोना अउ इ जुद्ध केरे कारन सगरी दुनिया म मंहगाई अउ बेरोजगारी बढ़तय जाय रही। विश्व मा गेंहू क्यारु संकट पइदा होइगा। चाचा ने सबको पर्यावरण दिवस की बधाई देते हुए 11-11 पौधे भेंट किए।इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा।

तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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