अमेरिकी सेना द्वारा ईरान के बाहुबली जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराए जाने के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। ऐसे में इसका असर विश्व के बाकी देशों पर भी दिखाई दे रहा है। खबर यह भी है कि ईरान जल्द ही पलटवार करते हुए होरमुज जलमार्ग को बंद कर सकता है। अगर यह जलमार्ग बंद होता है तो दुनिया में तेल के लिए हाहाकार मच सकता है। दरअसल, रणनीतिक रूप से होरमुज जलडमरूमध्य तेल व्यापार का सबसे अहम रास्ता माना जाता है। इस हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया। मामला सैन्य तैयारियों तक पहुंच गया। ईरान और अमेरिका में पहले से ही तनाव बना हुआ था जिसे इस घटना ने और बढ़ा दिया है। अमेरिका ने अपने सभी लोगों को तुरंत इराक छोड़ने के निर्देश जारी किया है। वहीं ईरान ने स्विटजरलैंड के राजदूत को इस हमले को लेकर तलब किया है। बता दें कि स्विटजरलैंड के राजदूत अमेरिका के लिए भी काम कर रहे हैं।
होरमुज जलडमरूमध्य, फारस की खाड़ी में है। यह एक अहम रास्ता है जो मध्य-पूर्व के तेल उत्पादक देशों को एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका और उससे भी आगे के बाजारों से जोड़ता है। यह ईरान और ओमान के जल क्षेत्र के दायरे में आता है। सबसे संकरे बिंदु पर होरमुज की चौड़ाई महज 33 किलोमीटर है। दोनों दिशाओं में शिपिंग लेन सिर्फ तीन किलोमीटर चौड़ी है। यह ओमान की खाड़ी की ओर जाता है, जहां से जहाज पूरी दुनिया में जाते हैं। यह पूरी दुनिया के तेल व्यापार के लिए बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट है।
यह चर्चा में इसलिए आया है कि 13 जून को तेल के दो तेल टैंकरों पर होरमुज जलडमरूमध्य के करीब संदिग्ध हमले हुए। सभी 44 नाविकों को अमेरिकी नौसेना की मदद से सुरक्षित निकाला गया। इस मामले ने अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को बढ़ा दिया था। इस संदिग्ध हमले से पहले भी अमेरिका ने 12 मई को संयुक्त अरब अमीरात के फुजाइरा में समुद्री जहाजों के बीच चार टैंकरों पर हुए हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि ईरान ने किसी भी हमले से साफ इनकार किया था।
समुद्री रास्तों के जरिए होने वाला करीब एक तिहाई तेल कारोबार इस समुद्री मार्ग से होता है। यूनाइटेड स्टेट्स एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन का आकलन है कि 2016 में इस जलमार्ग से हर दिन 1.85 करोड़ बैरल कच्चा तेल गुजरा था। यह सागर के जरिए एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले कुल तेल का करीब 30 फीसदी है। फिलहाल वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की प्रतिदिन खपत लगभग 10 करोड़ बैरल है। इस लिहाज से दुनिया के तेल का तकरीबन 20 फीसदी यहां से गुजरता है।