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न्योते की बाट जाेह रहे राम की मर्यादा से बंधे शबरी रुपी रामवंशज सूर्यवंश क्षत्रिय समाज

अयोध्या। भगवान श्रीराम की परम पावन नगरी अयोध्या इन दिनों पुनरुद्धार व पुनर्निर्माण के दौर में है। कहा जाता है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। यह सच है कि अयोध्या में त्रेतायुग दोहराया जा रहा है। पुराणों के अनुसार राजा इक्ष्वाकु मनु के ज्येष्ठ पुत्र थे मनु के बाद इक्ष्वाकु अयोध्या के सिंघासन पर बैठे यह बड़े प्रतापी राजा हुए और इन्हीं के नाम पर सूर्यवंश इक्ष्वाकु वंश कहा जाने लगा।

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भारत के सूर्यवंशी क्षत्रियों तथा उनकी शाखाओं में सबसे प्रसिद्ध वंश इक्ष्वाकु वंश ही माना जाता है। इसी वंश में भगवान श्रीराम हुए जिससे यह वंश और भी प्रतिष्ठित बन गया ।बताते हैं कि सूर्यवंश में जन्म लिए भगवान श्री राम के दो पुत्र कुश और लव हुए। जिसमें श्रीराम के छोटे पुत्र लव की वंशावली आज भी चल रही है जो वर्तमान में अयोध्या व राजस्थान सहित देश के अन्य हिस्सों में रह रहे।

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न्योते की बाट जाेह रहे राम की मर्यादा से बंधे शबरी रुपी रामवंशज सूर्यवंश क्षत्रिय समाजसूर्यवंशी क्षत्रिय इन्हीं के वंशज हैं. अयोध्या सूर्यवंश क्षत्रिय समाज के मुखिया दादा गुरु प्रसाद सिंह ने अपने द्वारा ही रचित “क्षत्रिय वंशावली” नामक शोध पुस्तिका का हवाला देते हुए बताया कि सूर्यवंशी राम के पुत्र लव मेवाड़ शाखा के कई पीढ़ियों के बाद लगभग 13वीं 14वीं शताब्दी में सूर्यवंशी राजा चन्द्र के चार पुत्र देवा, माधव, धार और मुरार अपने पुरोहित गुरु वशिष्ठ की मर्यादा के रक्षार्थ मेवाड़ से अयोध्या आये और यहीं रह गए, जिनके वंशज आज भी चार प्रमुख पट्टियां में बंटा हुआ है। देवा कुल से मड़ना पट्टी, माधव से पूराबाजार पट्टी, धार से राजेपुर पट्टी एवं मुरार से सनेथू पट्टी सरयु इस पार और सरयु उस पार मिला कर रामवंशज देवगढ़, मड़ना, दतौली, रामपुरपुवारी, जनौरा, गंजा, चाँदपुर, हरिवंश पूराबाजार, राजेपुर, सनेथू, सरायरासी एवं सिरसिडा सहित 115 गाँव में निवास कर रहे हैं। इन सभी सूर्यवंश क्षत्रियों के घरों में 22 जनवरी को दीपक आदि की रोशनी कर “महा दीपावली” मनाया जाएगाकिन्तु आज एक बड़ी विडम्बना का विषय यह है कि जिस सूर्यवंशी प्रभु श्रीराम जी की अलौकिक प्राण-प्रतिष्ठा का महापर्व होने जा रहा है, उसमें राम के वंशजों में से किसी एक भी प्रतिनिधि तक को नहीं बुलाया जा रहा है।

विशेष वार्ता के क्रम सूर्यवंश क्षत्रिय समाज के जिला मीडिया प्रभारी बिपिन सिंह सूर्यवंशी ने कहा कि जिस भव्य कार्यक्रम में पूरी दुनिया के लोग बकायदा निमंत्रण देकर बड़े आदर के साथ अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बुलाए जा रहे हैं।

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वहीं उस महोत्सव में भगवान राम जी के वंशज् यानि सूर्यवंशी क्षत्रियों को नहीं पूंछा जा रहा है जबकि मंदिर आंदोलन में 14कोसीय सूर्यवंश क्षत्रियों ने बड़ी संख्या में अपने प्राण न्यौछावर किए. करीब 131 गाँवों के रामवंशज क्षत्रिय ने 76 बार इस्लामिक धर्मावलम्बियों से युद्ध किया जिसमें साहस तो बुलंद था परंतु संसाधन कम होने के कारण आक्रांताओं ने लाखों सूर्यवंशियों को तोपों से भून डाला। ऐसे बलिदानी वंशजों को प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव में न्योता नहीं दिया गया है , यह दुःख की बात है। क्योंकि प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम एक ही बार होता है। इस ऐतिहासिक अवसर पर राम के वंशजों को दूर किया जाना बहुत कष्ट दायक है। अन्त में सूर्यवंशी क्षत्रिय समाज के मुखिया श्री सिंह ने बताया कि उन्होनें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के अध्यक्ष महंत नृत्य यगोपाल दास महाराज एवं विहिप के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से विनम्र निवेदन किया है कि इस “गौरवशाली क्षण” में रामवंशजों को भी साक्षी बनाया जाए।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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