भारतीय रियल एस्टेट बाजार में मंदी का कोई संकेत नहीं है। आवास की मांग सदाबहार और मजबूत बनी हुई है। इस मांग को पूरा करने के लिए अधिक आवासीय परियोजनाएं लॉन्च करने की जरूरत है। रियल्टी क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई और रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया का कहना है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार का आकार 2047 तक कई गुना बढ़कर पांच से सात लाख करोड़ डॉलर पहुंच सकता है। बढ़ती आर्थिक वृद्धि और तीव्र शहरीकरण से यह 10 लाख करोड़ डॉलर तक भी पहुंच सकता है। ‘क्रेडाई नैटकॉन’ सम्मेलन में क्रेडाई और कोलियर्स इंडिया ने एक संयुक्त रिपोर्ट ‘इंडियन रियल एस्टेट : द क्वांटम लीप’ में कहा, किसी तिमाही में मकानों की बिक्री कम पेशकश की वजह से गिर सकती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद बढ़ी उपभोक्ता मांग बरकरार है।
आकर्षक कीमतों पर तेजी से बिक रहे मकान
चालू तिमाही में बिक्री में अनुमानित गिरावट पर क्रेडाई के राष्ट्रीय चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा, सितंबर तिमाही में नई पेशकश कम रही हैं। अच्छे डेवलपर की ओर से सही स्थानों और आकर्षक कीमतों पर पेश की जा रही आवासीय संपत्तियां तेजी से बिक रही हैं। प्रॉपइक्विटी ने नए आंकड़ों में अनुमान लगाया गया है कि भारत में जुलाई-सितंबर में नौ प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री 18 फीसदी घटकर 1,04,393 इकाई रह गई।
शहरों में रहेगी 50 फीसदी आबादी
रिपोर्ट में कहा गया, रियल एस्टेट वृद्धि बड़े शहरों की सीमाओं से आगे बढ़कर कई छोटे शहरों तक पहुंचेगी। 2047 तक देश की 50 फीसदी आबादी शहरों में निवास करेगी। इससे आवासीय, कार्यालय, डाटा सेंटर और खुदरा स्थानों में अभूतपूर्व मांग पैदा होगी।
छह कारक निभाएंगे वृद्धि में भूमिका
रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक भारतीय जीडीपी में रियल एस्टेट क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 14-20 फीसदी पहुंचने की उम्मीद है। रियल एस्टेट में इस दीर्घकालिक वृद्धि के लिए छह प्रमुख कारकों की भूमिका होगी। ये छह कारक हैं…तीव्र शहरीकरण, बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटलीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, स्थिरता और निवेश विविधीकरण।