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40 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर हुआ महंगा, आसमान छूने लगे नए रेट

महज एक हफ्ते पहले तक 40 रुपये किलो बिकने वाले टमाटर के भाव 6 गुना बढ़कर 120 रुपये पर पहुंच गए हैं। टमाटर के साथ ही हरी सब्जियों के रेट भी आसमान छूने लगे हैं।

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चार दिन पहले तक देशी परवल 60 से सीधे 100 रुपये किलो पर पहुंच गया है। बीन्स (बोड़ो) 40 से 80 रुपये किलो बिका। मंगलवार को यूपी के कुशीनगर के अधिकतर बाजारों में भिंडी भी 60 रुपये किलो बिकी।

40 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर हुआ महंगा

केवल आलू-प्याज के दाम ही कम हैं। दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी में पिछले दो दिनों में टमाटर का रेट तीन गुना हो गया है. एक टमाटर व्यापारी ने बताया कि कमी के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश और हरियाणा से टमाटर नहीं मिल रहे हैं और अब वे सप्लाई के लिए बेंगलुरु पर निर्भर हैं।

उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को सबसे महंगा टमाटर गोरखपुर और बेल्लारी में 122 रुपये किलो बिका, जबकि सबसे सस्ता 10 रुपये किलो संभल में। वैसे अभी देश के कई हिस्सों में टमाटर की खुदरा कीमतें 80 रुपये से उछलकर 100 के पार पहुंच गई हैं।

सबसे महंगा आलू कार निकोबार और चंपाही में 50 रुपये किलो था तो बारां में 8 रुपये। प्याज की बात करें तो लुंगलेई, सीअहा और फेक में 60 रुपये किलो था तो नीमच, देवास, सिवनी में 10 रुपये। 27 जून को अखिल भारतीय स्तर पर टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये प्रति किलो रही।

भारत में अगर टमाटर की खेती और टमाटर उगाने वाले राज्यों के बारे में देखें तो भारत में सबसे ज्यादा टमाटर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। यहां टमाटर की दो फसल मुख्य रूप से होती है। एक अगस्त से सितंबर के बीच बोई जाती है और दूसरी फसल फरवरी से जुलाई के बीच तैयार की जाती है। अभी जो टमाटर बाजार में होना चाहिए वो फरवरी से जुलाई के बीच तैयार होकर बिकने वाली फसल है, लेकिन हरियाणा, राजस्थान, यूपी एमपी की फसल खराब हो गई है। इससे दाम अचानक से उछल गए हैं।

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में मांग के मुकाबले कम आपूर्ति के चलते टमाटर का खुदरा भाव बढ़कर 110 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। सब्जियों के एक प्रमुख कारोबारी संगठन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इंदौर की देवी अहिल्याबाई होलकर सब्जी मंडी के कारोबारी संघ के अध्यक्ष सुंदरदास माखीजा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इन दिनों मंडी में केवल महाराष्ट्र से टमाटर की आपूर्ति हो रही है, जबकि राजस्थान में बारिश के चलते टमाटर की फसल खराब होने के चलते वहां से माल आना बंद हो गया है।

टमाटर की खेती में किसानों की रुचि की कमी पिछले महीने फसल की कीमत में गिरावट के कारण है। पिछले साल की तुलना में इस साल बुआई कम हुई है। पिछले साल बीन्स की कीमतें आसमान छूने के कारण कोलार में किसानों ने इस साल बीन्स की बुआई शुरू कर दी। हालांकि, कमजोर मानसून के कारण फसलें सूख गईं।

मई में टमाटर की कीमतें गिरकर ₹3-5 प्रति किलोग्राम हो गईं। कई किसानों को फसल पर ट्रैक्टर चला कर नष्ट करने पर मजबूर होना पड़ा। महाराष्ट्र में टमाटर की कमी के कारण, खरीदार मांगों को पूरा करने के लिए पश्चिम बंगाल, ओडिशा और यहां तक कि बांग्लादेश में निर्यात के लिए जा रहे हैं।

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