टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (TRAI) के TV देखने के नियम बदले हुए कुछ समय हो गया है, मगर अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें चैनल चुनने व पेमेंट करने में परेशानी आती है। ऐसे में प्राधिकरण ने यूज़र्स की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नए थर्ड पार्टी ऐप(third party app) बनाने का निर्णय किया है। हाल ही में प्राधिकरण ने 2017 में पेश किए गए नए ब्रॉडकास्टिंग एंड केबल सर्विसेज (broadcasting and cable services) में अमेंडमेंट करने का भी प्रस्ताव रखा है।
प्राधिकरण के लगातार कोशिश के बावजूद कई यूज़र्स को चैनल सेलेक्ट करने में कठिनाई हो रही है। प्राधिकरण ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए बोला कि कई यूज़र्स को चैनल सेलेक्ट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है व वो अपनी पसंद के चैनल्स नहीं चुन पा रहे हैं।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया का बोलना है कि ऐप आने से ग्राहक सरलता से अपने पैक सेलेक्ट कर पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि थर्ड पार्टी ऐप ब्रॉडकास्टिंग व केबल सर्विस सेक्टर से जुड़े सभी कस्टमर तक सरलता से पहुंच पाएगा। थर्ड पार्टी ऐप्स की फंक्शनिंग को सपॉर्ट करने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की ओर से चैनल सेलेक्शन सिस्टम एपीआई स्पेसिफिकेशन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है, जिससे डिस्ट्रीब्यूशन प्लैटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPO) के कॉमन API जुड़े हैं। इसकी मदद से थर्ड पार्टी यूज़र्स के लिए ऐप डेवलप कर सकेगी। वैसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ये ऐप कब लॉन्च किया जाएगा।
सस्ता होने कि सम्भावना है TV देखना
DTH व केबल की सेवाएं महंगी होने की शिकायतों के बाद TRAI ने ब्रॉडकास्टिंग व केबल इंडस्ट्री के टैरिफ की दोबारा समीक्षा करने का निर्णय किया है। इसके लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने नया कन्सल्टेशन पेपर जारी किया है ताकि ब्रॉडकास्टिंग व टैरिफ संबंधी परेशानियों का कोई हल निकाला जा सके। बता दें कि टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने मार्च 2017 में नया रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया था, जो 29 दिसंबर 2018 से लागू हुआ।
इसका विश्लेषण करने पर पता चला कि नए नियमों के बाद चैनल की कीमतों में पारदर्शिता आई व स्टेकहोल्डर्स के बीच उपस्थित टकराव को घटाया जा सका। बावजूद इसके कंज्यूमर्स को टीवी चैनल चुनने के पर्याप्त आजादी नहीं मिली। अथॉरिटी ने बोला कि ऐसा पाया गया है कि किसी बुके पर 70 प्रतिशत तक का भी डिस्काउंट दिया जाता है जिसकी वजह से ग्राहक अपने पसंद का चैनल नहीं चुन पाते हैं।