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विश्व आदिवासी दिवस : अगस्त क्रांति और काकोरी कांड को याद कर आदिवासी जीवन और संस्कृति की हुई चर्चा

  • आदिवासियों के योगदान का मूल्यांकन होना जरूरी : रामजनम

  • आदिवासियों ने 1857 से पूर्व ही अंग्रेजों का विरोध शुरू कर दिया : अयोध्या प्रसाद

  • आदिवासी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा जरूरी : कमलेश कुमार

  • खलियारी,सोनभद्र 9अगस्त को मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस

  • Published by- @MrAnshulGaurav
  • Tuesday, August 09, 2022

वाराणसी। प्रस्तावित बिरसा मुंडा अध्ययन केंद्र स्थल, तेनुडाही में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अगस्त क्रांति और काकोरी कांड को याद करते हुए आदिवासी जीवन और उनकी संस्कृति की चर्चा की गई।

आदिवासियों की जीवन शैली उनके हक अधिकार, न्याय,शासन पद्धति, रीति रिवाज, धर्म और त्योहार आदि भारतीय पुरातन संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं।आदिवासी प्रकृति के साथ-साथ मानव जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखते हैं।आदिवासी महापुरुषों ने 1857 के पूर्व ही अंग्रेजों की नीयत को समझ लिया था।

विश्व आदिवासी दिवस : अगस्त क्रांति और काकोरी कांड को याद कर आदिवासी जीवन और संस्कृति की हुई चर्चा

उन्होंने अपनी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए हथियार उठाया न की किसी संस्कृति के विरुद्ध। आजादी के आंदोलन से लेकर भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। उक्त बातें राइज एंड एक्ट द्वारा आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कही। रामजनम ने कहा कि स्वतन्त्र भारत मे आदिवासियों को उनके अनुपात अनुरूप पद प्रतिष्ठा नहीं प्राप्त हुई।उनके संसाधनों पर राज्य जबरन कब्जा कर रहा है।

World Tribal Day: Discussion of tribal life and culture by remembering August Revolution and Kakori incident

अयोध्या प्रसाद ने कहा कि आदिवासी समुदाय मूलनिवासी है पर शिक्षा और नौकरियों में पिछड़ा हुआ है।राज्य उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। कमलेश कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज अधिवासी समूहों के साथ खड़ा होने की जरूरत है।उनके योगदान पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। इसी के लिए बिरसा मुंडा अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। नगवा ब्लाक के तेनुडाही, कजियारी, विश्रामपुर, सुअरसोत, धोबी, मझुई आदि गांवों के आदिवासियों ने सैकड़ों की संख्या में कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों के नायक बिरसा मुंडा,तिलका मांझी, सिद्धू-कानू आदि के जीवनी, और संघर्षों के बारे में भी बताया गया। इस मौके पर राम जनम, अयोध्या, कमलेश कुमार, राजेश्वर, रामजतन, विंधेश्वर ग्राम प्रधान मझुइ, विद्यासागर, सकराती, कलावती, गुलजनी आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। कार्यक्रम का संचालन कमलेश कुमार और धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या प्रसाद ने किया।

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