महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच गए हैं। यहां पहुंचते ही शिवसैनिकों द्वारा उनका जमकर स्वागत किया गया है। फिलहाल ठाकरे मीडिया से संवाद कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं पिछले डेढ़ साल में तीन बार अयोध्या आ गया। यहां आया तो मैं मुख्यमंत्री बन गया जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। मैंने कहा था कि मैं बार बार यहां आऊंगा और देखिये डेढ़ साल में तीसरी बार अयोध्या आ गया हूं। ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे की वजह से वे सरयू आरती में शामिल न हो पाएंगे। ठाकरे ने कहा कि वह एक करोड़ की राशि मंदिर निर्माण के लिए देंगे।
राज्य में गठबंधन सरकार के कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के बाद उद्धव ठाकरे अयोध्या राम मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं। सीएम बनने के बाद उद्धव का अयोध्या का यह पहला दौरा है। इतना ही नहीं भाजपा और एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ने के बाद भी उद्धव पहली बार ही अयोध्या जा रहे हैं। ऐसे में उनके इस दौरे पर राजनीतिक लिहाज से भी नजर बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र द्वारा राम मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्ट बनाए जाने के एक महीने बाद उद्धव अयोध्या पहुंच रहे हैं। बता दें कि शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे अयोध्या में राममंदिर निर्माण की मांग उठाते रहे थे।
सीएम उद्धव ठाकरे शनिवार को अयोध्या दौरे पर हैं। यहां भगवान रामलला के दर्शन करने के बाद वह सरयू नदी के तट पर होने वाली आरती में भी शामिल होने वाले थे। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस के चलते अब उद्धव सरयू नदी की आरती में शामिल नहीं होंगे। उद्धव के अयोध्या पहुंचने के पहले ही बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता भी अयोध्या पहुंच गए हैं।
शिवसेना की हिंदूवादी पार्टी की रही है छवि
शिवसेना की बरसों तक हिंदूवादी पार्टी की छवि रही है। ऐसे में कुछ महीनों पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर सरकार बनाकर सभी को चौंका दिया था। इतना ही नहीं उद्धव ने सीएम बनने के बाद कई ऐसे फैसले लिए जिससे उनकी पार्टी की हिंदूवादी छवि कमजोर होती दिखाई दी। ऐसे में उनकी अयोध्या यात्रा को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है कि उद्धव अपनी पार्टी की पुरानी छवि और एजेंडे को बरकरार रखना चाहते हैं।