• जन भागीदारी व जन आंदोलन से दूर होगी मलेरिया की बीमारी – सीएमओ
• मलेरिया रोधी माह के तहत जिले में हो रहा स्रोत विनष्टीकरण कार्य*
• मच्छर जनित रोग नियंत्रण टीम जनमानस को कर रही जागरूक
वाराणसी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) चिरईगांव के अंतर्गत हिरामनपुर और चोलापुर सीएचसी के अंतर्गत रौना ग्राम में बुधवार को मलेरिया जांच के लिए स्लाइड्स तैयार की गईं। साथ ही जनपद में मलेरिया रोधी माह के तहत समुदाय को जागरूक किया गया। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी।
उन्होंने बताया कि मच्छर जनित बीमारी मलेरिया की रोकथाम व जागरूकता के उद्देश्य से जनपद में मलेरिया रोधी माह अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लार्वा स्रोत के विनष्टीकरण का कार्य किया जा रहा है। स्वास्थ्य टीम ग्राम स्तर पर स्क्रीनिंग कैंप लगाकर लोगों की मलेरिया जांच के साथ समुदाय को जागरूक करने के कार्य भी किया जा रहा है।
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सीएमओ ने बताया कि इस अभियान के मद्देनजर सीएचओ, आशा और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। मच्छर जनित रोग नियंत्रण टीम पूरे माह की जाने वाली गतिविधियों, मलेरिया के कारणों, लक्षणों, बचाव के उपायों, जांच व उपचार के बारे में लोगों को जागरूक कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जन भागीदारी व जन आंदोलन से ही मलेरिया को दूर किया जा सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि मलेरिया रोधी माह का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच मलेरिया के बारे में जागरूकता पैदा करना है। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 32 और शहरी इलाकों के लिए 18 टीमें तैयार की गई हैं।
घर-घर जाकर हर रविवार मच्छर पर वार का संदेश दिया जा रहा है। मलेरिया की जांच और उपचार की सुविधा जिले के सभी सरकारी चिकित्सालयों सहित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। साथ ही ब्लॉक स्तरीय सीएचसी-पीएचसी और सभी 62 हॉटस्पॉट क्षेत्रों में मलेरिया स्क्रीनिंग कैंप लगाया जा रहा है।
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डीएमओ ने बताया कि मलेरिया के मच्छर रूके हुए साफ़ या धीरे बहते पानी में पैदा होते हैं। इससे बचाव के लिए शीघ्र निदान और त्वरित उपचार पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत जनपद में एक्टिव सर्विलान्स (घर-घर जाकर), पैसिव सर्विलान्स (ओपीडी), नियमित स्वास्थ्य कैंप खासकर हॉट स्पॉट क्षेत्र और कोंटैक्ट ट्रेसिंग पर ज़ोर दिया जा रहा है।
इसी का परिणाम है कि वर्ष 2018 में 348 मलेरिया के मरीज पाये गए जो वर्ष 2022 में कम होकर 69 रह गए। इस वर्ष अब तक 50 हजार से अधिक लोगों की जा चुकी है जिसमें 16 मरीज पॉज़िटिव पाये गए। वर्तमान में मलेरिया का एनुअल पैरासाइट इंडेक्स 0.01 है। इसको देखकर कहा जा सकता है कि हम मलेरिया उन्मूलन की दिशा तेजी से बढ़ रहे हैं।
एक नजर आंकड़ों पर
• वर्ष 2017 – 406
• वर्ष 2018 – 348
• वर्ष 2019 – 271
• वर्ष 2020 – 46
• वर्ष 2021 – 164
• वर्ष 2022 – 69
• वर्ष 2023 में अब तक – 17
मलेरिया के लक्षण
• सर्दी व कम्पन के साथ एक-दो दिन छोड़कर बुखार।
• तेज बुखार, उल्टियाँ और सिर दर्द।
• बुखार उतरते समय बदन का पसीना-पसीना होना।
• बुखार उतरने के बाद थकावट एवं कमजोरी होना।
बचाव- घर व आसपास साफ-सफाई रखें, कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई करना, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, घर में मौजूद पुराने बर्तनों, टायरों एवं खाली गमलों इत्यादि में पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी का उपयोग करें, ठहरे हुए पानी जैसे तालाब, कुए आदि में “गम्बोज़िया मछली” पालें आदि।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता