25 मई को इस वर्ष वट सावित्री व्रत (बरगद)की पूजा महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करेंगी। पहली बार पूजा में शामिल होने वाली महिलाओं को मायके से आने वाला लहंगा या लाल रंग की साड़ी पहनना शुभ रहता है।
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत किया जाता है। वैसे तो सभी विवाहित महिलाओं को व्रत करना चाहिए ,लेकिन जिन महिलाओं की जन्म पत्रिका में वैधत्व योग, मंगली दोष हो उन्हें यह अवश्य करना चाहिए ।
इस व्रत के प्रभाव से सुहागन स्त्रियों का सौभाग्य सुरक्षित हो जाता है। संतान सुख के साथ ही परिवार में संपन्नता रहती है ।मंगल दोष से पीड़ित कन्याओं को शीघ्र विवाह सुखी दांपत्य जीवन के लिए उपाय करना चाहिए। बरगद वृक्ष की जड़ में ब्रम्हा जी तने में विष्णु, डालियों और पत्तियों में शिव जी का वास माना जाता है ।
पूजन की विधि:-
महिलाएं निराहार रहकर पूजन के लिए हलवा पुरी आदि और आटे के गुल गुले ,बरगद की माला बनाएं ।शुद्ध थाली में पूजन सामग्री चावल ,कुमकुम ,घी का दीप ,मिष्ठान, पकवान, हल्दी,महावर,फूल,धूप, भीगे चने और कच्चा सूत रखकर मंदिर में लगे किसी भी वट वृक्ष में जाएं और पूजन करें ।वट वृक्ष के नीचे मिट्टी से बनी सावित्री सत्यवान और भैंसे में विराजमान यमराज की प्रतिमा स्थापित कर पूजन कर जल अर्पित करें।
रिपोर्ट: डा. जितेन्द्र तिवारी