नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में रविवार को शपथ ग्रहण होने का दावा किया जा रहा है, मगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
एनडीए नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति से मोदी को अपना नेता चुना गया है। यह महत्वपूर्ण घटना मोदी के निरंतर प्रभाव और मतदाताओं द्वारा दिए गए मजबूत जनादेश को रेखांकित करती है।
भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति को दर्शाते हुए, शपथ ग्रहण समारोह में शीर्ष दक्षिण एशियाई नेताओं को आमंत्रित किया गया है। बांग्लादेश और श्रीलंका से पहले ही पुष्टि हो चुकी है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो मोदी को उनकी चुनावी जीत पर बधाई देने वाली पहली विदेशी नेताओं में से एक हैं, शुक्रवार को दिल्ली पहुंचेंगी। हसीना और मोदी के बीच तालमेल दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को प्रदर्शित करता है।
इस बीच, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भी निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और मोदी को बधाई दी है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ को भी निमंत्रण भेजा गया है, जो इस आयोजन की समावेशीता और क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को दर्शाता है।
2014 में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के नेताओं ने भाग लिया था और 2019 में बिम्सटेक देशों के नेताओं ने भाग लिया था। इस बार, दक्षिण एशियाई नेताओं की उपस्थिति क्षेत्रीय सौहार्द और कूटनीतिक जुड़ाव की परंपरा को जारी रखे हुए है, जो पड़ोसी संबंधों को मजबूत करने पर भारत के रणनीतिक फोकस को मजबूत करती है।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी