वीडियोकॉन लोन केस मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर की मुश्किलें बढ़ सकती है. अब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के बीच हुए सौदों के मामले में जांच शुरू कर दी है. साथ ही अब इस मामले में चंदा कोचर के बयान रिकॉर्ड करने के लिए उनको समन भी जारी किया जा सकता है.
आरोप है कि वीडियोकॉन उद्योगों के वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर द्वारा प्रवर्तित एक फर्म को करोड़ों रुपये मुहैया कराए थे, जबकि वीडियोकॉन समूह को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से ऋण के रूप में 3,250 करोड़ रुपये मिले थे. यह राशि 40 हजार करोड़ रुपये के ऋण का हिस्सा थी जिसे वीडियोकॉन समूह ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों के एक कंसोर्टियम से हासिल किया था.
इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद एमसीए के पश्चिमी क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय ने एसएफआईओ द्वारा आगे की जांच का आदेश दिया है.
बता दें कि ईडी ने कोचर को 10 जून को पूछताछ के लिए उसके समक्ष पेश होने को कहा था. ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि कोचर ने एजेंसी को सूचित किया कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह जांच में शामिल होने में असमर्थ हैं.
मामला आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 2009 से लेकर 2011 के दौरान प्रदत्त 1,875 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी देने में कथित अनियमिताएं व भ्रष्टाचार से जुड़ा है.
ईडी का आरोप है कि कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के प्रमुख रहते हुए अवैध ढंग से अपने पति की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को करोड़ों रुपये दिए. मार्च में ईडी ने कोचर परिवार के आवास व कार्यालय परिसरों की तलाशी ली थी और वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ उनको पूछताछ के लिए बुलाया था.
धूत ने कथित तौर पर आईसीआईसीआई बैंक से ऋण प्रदान करने की मंजूरी के बदले में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी के माध्यम से न्यूपावर रिन्यूएबल्स लिमिटेड में निवेश किया. वीडियोकॉन समूह को दिए गए कुल कर्ज 40,000 करोड़ रुपये के एक बड़े हिस्से की 2017 के आखिर में वसूली नहीं हो पाई और बैंक ने 2,810 करोड़ रुपये के कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया.