लखनऊ। विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज,लखनऊ की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाईयों ने ध्वनि प्रदूषण के नुकसान और इसे नियंत्रित करने के उपाय पर एक वर्चुअल ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका शुभारंभ प्राचार्या प्रो धर्म कौर ने किया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव जन जीवन पर पड़ता है।
इस समस्या का समाधान तलाशना होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ उषा देवी (इतिहास विभाग) ने किया। डॉ बी बी यादव ने प्रदूषण नियंत्रण के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 2050 तक जिन 2.5 अरब लोगों की सुनने की क्षमता खत्म हो जाएगी, उनमें से सबसे ज्यादा प्रतिशत भारतीय उपमहाद्वीप में होगा। शोर का सबसे आम प्रभाव सुनने की क्षमता को अक्षम करना है।
शोर के संपर्क में आने से होने वाली श्रवण हानि भारत में पहले से ही व्यापक है। उन्होंने प्रेशर हॉर्न, मॉडिफाइड साइलेंसर, लाउडस्पीकर,डीजे आदि के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण के खतरे पर प्रकाश डाला। उन्होंने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में भी बताया।
उन्होंने छात्रों से अपने समुदाय में भी जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी शहादत हुसैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।